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अभिलेखीय साक्ष्य इस गच्छ से सम्बद्ध ७८ प्रतिमालेख प्राप्त हुए हैं जो वि०सं० १२८७ से लेकर वि०सं० १७८७ तक के हैं४ ।
अध्याय-७
उक्त अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर इस गच्छ के विभिन्न मुनिजनों के नामों का पता चलता है, किन्तु उसके आधार पर उनके गुरु-शिष्य परम्परा की कोई विस्तृत तालिका की संरचना कर पाना तो सम्भव नहीं है। फिर भी कुछ मुनिजनों की गुरुपरम्परा की छोटी-छोटी गुर्वावलियों की संरचना की जा सकती है, जो इस प्रकार है
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चक्रेश्वरसूरि
चक्रेश्वरसूरि
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पद्मचन्द्रसूरि
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जयचन्द्रसूरि
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1
मानदेवसूरि
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यशोदेवसूरि
I
शांतिसूरि (वि०सं० १३७० - ८७ प्रतिमालेख)
जयसिंहसूर
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सोमप्रभसूरि
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वर्धमानसू
(वि०सं० १३३५ प्रतिमालेख )
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सोमचन्द्रसूरि (वि०सं०१४३७ - ५९ प्रतिमालेख)
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ज्ञानचन्द्रसूरि (वि०सं० १४९३ प्रतिमालेख)
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हरिभद्रसूरि
साहित्यिक साक्ष्य
मडाहडगच्छ से सम्बद्ध प्रथम साहित्यिक साक्ष्य है कालिकाचार्यकथा की ९ श्लोकों की दाताप्रशस्ति'। यह प्रति श्री अगरचन्द नाहटा के संग्रह में संरक्षित है। इस प्रशस्ति
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कमलप्रभसू
(वि० सं०१५२० प्रतिमालेख)
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