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________________ १९४ बृहद्गच्छ का इतिहास रामचन्द्रसूरि पुण्यचन्द्रसूरि विजयचन्द्रसूरि कीरति (वि०सं० १५३५/ई० सन् १४७९ में ___ आरामशोभाचौपाई के रचनाकार) ६. आवश्यकनियुक्तिबालावबोध की प्रतिलिपि की प्रशस्ति - सार्धपूर्णिमागच्छीय विद्याचन्द्रसूरि ने वि०सं० १६१० में उक्त कृति की प्रतिलिपि करायी। इसकी दाताप्रशस्ति में उनकी गुरु-परम्परा का विवरण मिलता है, जो इस प्रकार है : उदयचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि विद्याचन्द्रसूरि (वि०सं० १६१० में इनके उपदेश से आवश्यक नियुक्ति बालावबोध की प्रतिलिपि की गयी) जैसा कि प्रारम्भ में कहा जा चुका है इस गच्छ के विभिन्न मुनिजनों की प्रेरणा से प्रतिष्ठापित वि०सं० १३३१ से वि०सं० १६२४ तक की ५० से अधिक सलेख जिनप्रतिमायें मिलती हैं ।१० उक्त प्रतिमालेखीय साक्ष्यों के आधार पर इस गच्छ के कुछ मुनिजनों के पूर्वापर सम्बन्ध स्थापित होते हैं। उनका विवरण इस प्रकार है : १. धर्मचन्द्रसूरि और उनके पट्टधर धर्मतिलकसूरि धर्मचन्द्रसूरि की प्रेरणा से प्रतिष्ठापित १ प्रतिमा मिली है जिस पर वि०सं० १४२१ का लेख उत्कीर्ण है। इनके पट्टधर धर्मतिलकसूरि का ९ जिनप्रतिमाओं में नाम मिलता है। ये प्रतिमायें वि०सं० १४२४ से वि०सं० १४५० के मध्य प्रतिष्ठापित की गयी थीं। इसके अतिरिक्त एक ऐसी भी प्रतिमा मिली हैं, जिस पर प्रतिष्ठावर्ष नहीं दिया गया है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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