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________________ अध्याय-७ १९५ २. धर्मतिलकसूरि के पट्टधर हीराणंदसूरि वि०सं० १४८३ और १५०२ में प्रतिष्ठापित ३ प्रतिमाओं पर इनका नाम मिलता है। ३. हीराणंदसूरि के पट्टधर देवचन्द्रसूरि इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित २ प्रतिमायें (वि० सं० १५१६ और वि०सं० १५१८) मिली हैं। ४. अभयचन्द्रसूरि और उनके पट्टधर रामचन्द्रसूरि अभयचन्द्रसूरि की प्रेरणा से प्रतिष्ठापित ३ प्रतिमाओं (वि०सं० १४२४, १४५८ और १४६६) का उल्लेख मिलता है। इनके पट्टधर रामचन्द्रसूरि का नाम वि०सं० १४९३ के प्रतिमालेख में मिलता है। ५. रामचन्द्रसूरि के पट्टधर पुण्यचन्द्रसूरि इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित ५ प्रतिमायें मिली हैं जिन पर वि०सं० १५०४, १५०७, १५०८ और १५२४ के लेख उत्कीर्ण हैं। ६. रामचन्द्रसूरि के शिष्य मुनिचन्द्रगणि आबू स्थित लूणवसही की एक देवकुलिका पर उत्कीर्ण वि०सं० १४८६ के लेख में मुनिचन्द्रगणि, शीलचन्द्र, नयसार, विनयरत्न आदि का नाम मिलता है। ७. रामचन्द्रसूरि के शिष्य चन्द्रसूरि पद्मप्रभ की वि०सं० १५२१ में प्रतिष्ठापित प्रतिमा पर चन्द्रसूरि का नाम मिलता है। ८. पुण्यचन्द्रसूरि के पट्टधर विजयचन्द्रसूरि वि०सं० १५१३, १५२२ और १५२८ में प्रतिष्ठापित ३ प्रतिमाओं पर विजयचन्द्रसूरि का नाम मिलता है। ९. विजयचन्द्रसूरि के पट्टधर उदयचन्द्रसूरि इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित २ प्रतिमायें मिली हैं, जो वि०सं० १५५० और १५५३ की हैं। १०. उदयचन्द्रसूरि के पट्टधर मुनिराजसूरि वि०सं० १५७२ में प्रतिष्ठापित श्रेयांसनाथ की धातुप्रतिमा पर इनका नाम मिलता है। ११. उदयचन्द्रसूरि के पट्टधर मुनिचन्द्रसूरि वि०सं० १५७५ और १५७९ में प्रतिष्ठापित २ जिन प्रतिमाओं पर इनका नाम है। १२. मुनिचन्द्रसूरि के पट्टधर विद्याचन्द्रसूरि इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित ३ जिन प्रतिमायें मिली है, जो वि०सं० १५९६, १६१० और १६२४ की हैं। उक्त साक्ष्यों के आधार पर इस गच्छ के मुनिजनों की गुरु परम्परा की दो तालिकायें बनती हैं : Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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