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बृहद्गच्छ का इतिहास वि०सं० १५१९ माघ सुदि ५ सोमवार श्रीप्रतिमालेखसंग्रह,
सम्पा० दौलतसिंहलोढा, लेखांक २६१. वि०सं० १५२१ माघ पूर्णिमा गुरुवार बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-१, लेखांक ५७८. वि०सं० १५२५ वैशाख वदि ११ रविवार वही, भाग-१, लेखांक १४९२ वि०सं० १५२५ माघ वदि ५
प्रतिष्ठालेखसंग्रह, सम्पा० विनयसागर,
लेखांक ६६७. वि०सं० १५२८ कार्तिक सुदि १२ शुक्रवार जैनलेखसंग्रह, भाग-३,
सम्पा० पूरनचन्द नाहर, लेखांक २३४९. वि०सं० १५३१ फाल्गुन सुदि ८ सोमवार राधनपुरप्रतिमालेखसंग्रह सम्पा० मुनि
विशालविजय, लेखांक २७४. जयप्रभसूरि के पट्टधर जयभद्रसूरि इनके उपदेश से प्रतिष्ठापित तीन प्रतिमायें प्राप्त हुई है। इनका विवरण इस प्रकार है - वि०सं० १५२५ वैशाख सुदि ३ सोमवार बीकानेरजैनलेखसंग्रह सम्पा० अगरचन्द,
__ भंवरलाल नाहटा,लेखांक १३१५ वि०सं० १५३४ आषाढ़ सुदि १ गुरुवार वही, लेखांक १४३४ वि०सं० १५३६ आषाढ़ सुदि ५ गुरुवार विनयसागर, पूर्वोक्त, लेखांक ७९६. जयप्रभसूरि के द्वितीय पट्टधर भुवनप्रभसूरि इनके उपदेश से प्रतिष्ठापित २ प्रतिमायें मिलती हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : वि०सं० १५५१ पौष सुदि १३ शुक्रवार नाहर, पूर्वोक्त, भाग ३, लेखांक २२०२. वि०सं० १५७२ वैशाख वदि ४ रविवार लोढ़ा, पूर्वोक्त, लेखांक १०१. कमलप्रभसूरि
इनके उपदेश द्वारा प्रतिष्ठापित एक प्रतिमा प्राप्त हुई है जो सम्भवनाथ की है। यह प्रतिमा आदिनाथ जिनालय, थराद मे है। इसका विवरण निम्नानुसार है :वि०सं० १५८२ वैशाख सुदि ३ लोढ़ा, पूर्वोक्त, लेखांक २०७.
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