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क्र० संवत्
४३. १७६७ मार्गशीर्ष वदि ९ अंचलमतदलन
बालावबोध
४४. १७७२ | कार्तिक सुदि ५ सिद्धान्तकौमुदी
मंगलवार
४६. १७८१
४५. १७८१ मार्गशीर्ष शुक्ल श्रीपालचरित्र चतुर्दशी
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४७. १७८२
तिथि/मिति
४८. १७९०
ग्रन्थ का नाम
४९. १७९०
५०. १७९१
आष्टाह्निकाधुराख्यान
(गद्य)
ज्येष्ठ शुक्ल ५ फाल्गुनचातुर्मासी
व्याख्यान
माघ वदि १३ द्वादशव्रतोच्चारविधि बुधवार
माघ सुदि... ? नैषधमहाकाव्य
भाद्रपदं वदि ८ जिनधर्मवरस्तव
मूल प्रशस्ति/
प्रतिलेखन प्रशस्ति
प्रतिलेखनप्रशस्ति
प्रतिलेखनप्रशस्ति
प्रतिलेखन की दाता प्रशस्ति
मूलप्रशस्ति
मूलप्रशस्ति
प्रतिलेखनप्रशस्ति
प्रतिलेखनप्रशस्ति
मूल प्रशस्ति
प्रशस्तिगत आचार्य/
मुनि का नाम
महिमाप्रभसूरि शिष्य मुनिलाल
महिमाप्रभसूरि के शिष्य
भावप्रभसूर
प्रतिलिपिकार
विनयप्रभसूरि के
पट्टधर महिमाप्रभसूरि
के पट्टधर भावप्रभसूरि
मुनिलाल
महिमाप्रभसूरि के शिष्य भावप्रभसूरि
भावप्रभ
भावप्रभसूर
विद्याप्रभसूरि के पट्टधर भावप्रभसूर
ललितप्रभसूर के पट्टधर
विनयप्रभसूरि के पट्टधर | महिमाप्रभसूरि के पट्टधर
भावप्रभसूर
भावप्रभसूर
भावप्रभसूर
महिमाप्रभसूरि पट्टधर भावप्रभसूरि
भावप्रभसूरि एवं उनके मुनिलाल
भावप्रभसूर
सन्दर्भ ग्रन्थ
वही, क्रमांक ३२४७,
पृ० १७८-१७९.
वही, क्रमांक ५८१२,
पृ० ३६९.
वही, क्रमांक ४२०६,
पृ० २३९.
वही, क्रमांक २३३३,
पृ० ११७.
वही, क्रमांक २३२६,
पृ० ११२.
वही, क्रमांक २४२४,
पृ० १२१.
वही, क्रमांक ४७७९,
पृ० २७८-२७९.
वही, क्रमांक १५११,
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बृहद्गच्छ का इतिहास