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________________ अध्याय- २ ९ प्रयास करेंगे। इस सम्बन्ध में सर्वप्रथम हम बृहद्गच्छीय देवेन्द्रगणि अपरनाम नेमिचन्द्रसूरि द्वारा रचित आख्यानकमणिकोश' (रचनाकाल वि०सं० की १२वीं शताब्दी का द्वितीय चरण) की उत्थानिका में उल्लिखित इस गच्छ के आचार्यों की वंशावली ६ का उल्लेख करेंगे, जो इस प्रकार है उद्योतनसूरि 'प्रथम' सर्वदेवसूरि देवसूरि नेमिचन्द्रसूरि 'प्रथम' Jain Education International उद्योतनसूरि ‘द्वितीय’ आम्रदेवसूरि 'प्रथम' I देवेन्द्रगणि अपरनाम नेमिचन्द्रसूरि (वि० सं० १२वीं शताब्दी के द्वितीय चरण के आसपास आ०म०को० के रचनाकार) देवेन्द्रगणि अपरनाम नेमिचन्द्रसूरि द्वारा रचित आत्मबोधकुलक, उत्तराध्ययनसूत्रसुखबोधावृत्ति (रचनाकाल वि०सं० ११२९ / ई०स० १०७६), महावीरचरित ( रचनाकाल वि०सं० ११४०/ई०स० १०८५) और रत्नचूड़कथा नामक कृतियाँ भी मिलती हैं। नेमिचन्द्रसूरि को अजितदेवसूरि के शिष्य आनन्दसूरि ने अपने पट्ट पर स्थापित किया था। अजितदेवसूरि उद्योतनसूरि 'द्वितीय' के समकालीन ५ आचार्यों में से एक For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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