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साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित पूर्णिमागधीय गुरु-शिष्य परम्परा
सदिवसूरि
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विजयसिंहमूरि
चनमसूरि (वि०सं० ११४५/५९ पूर्णिमा
के प्रवर्तक)
धर्मघोबसूरि
समन्तभद्रसूरि
देवसूरि
समुद्रचोपरि
यशोधोवसरि
पद्रेश्वरसूरि
तिलकामसूरि
मुनिप्रभसरि
बीयपसूरि
मुनिरलसूरि (वि०सं० १२२५ अममस्वामिचरित
मझकाव्य)
हेमप्रभसूरि (वि०सं० १२४३ प्रश्नोत्तरत्नमाला)
विमलमणि (वि०सं० १९८१
| दर्शनशुद्धिवृत्ति शिवामसूरि विदरपरि देवमसूरि (वि०स० १२२४)
| दर्शनशुविहदान) श्रीतिलकसरि
बिनदतसार (वि०सं० १२६१ प्रत्येकमुबचरित)
शांतिपदार
सर्वदेवसरि
अजितप्रभसरि (वि०सं० १३०७ में शांतिनाथचरित के कर्ता)
सोमप्रभरि
धर्मप्रभसरि
रत्नामसरि
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अपयप्रमसूर रत्नप्रभसूरि
चन्द्रसिंहमूरि
। रत्नप्रभसूरि हेमतिलकसरि
देवसिंहसूरि कमलप्रभसूरि (वि०सं० १३५२ हेमरत्नसरि
पथतिलकसरि पुण्डरीकचारत के रचनाकार) ।
श्रीतिलकसरि रत्नशेखरसूरि
देवचन्द्रसूरि सर्वाणदसूरि रत्नसागरसूरि
पत्रपरि (वि.सं. १४८०-१४८५ प्रतिमालेख) । गुणसागरसूरि
देवानन्दसूरि (वि०सं० १४८३-१५११ प्रतिमालेख) (वि०सं० १४५५ में क्षेत्रसमासवृत्ति के कर्ता)
गुणसमुद्रसरि सत्यरावगणि गुणधीरसूरि
सुमतित्रपरि (वि०सं० १५१४ में
(वि०सं० १५१६-१५३६, प्रतिमालेख) श्रीपालचरित के रचनाकार)
पुण्यरत्मसूरि (वि०सं० १५१२-१५३६ प्रतिमालेख)
बृहद्गच्छ का इतिहास
सुमतिरत्नसूरि
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उदवसमुद्रसरि (वि०सं० १५८० में पूर्णिमागच्छगुर्वावली के रचनाकार)