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अध्याय-७
१५९
जयसिंहसूरि
चन्द्रप्रभसूरि
समन्तभद्रसूरि
धर्मघोषसूरि
विमलगणि
देवभद्रसूरि (वि०सं० १२२४/ई०सन् १९६८ में
दर्शनशुद्धिबृहवृत्ति के रचनाकार) प्रश्नोत्तररत्नमालावृत्ति
यह पूर्णिमागच्छीय हेमप्रभसूरि की कृति है। रचना के अन्त में वृत्तिकार ने अपनी गुरु-परम्परा और रचनाकाल का उल्लेख किया है,३ जो इस प्रकार है :
चन्द्रप्रभसूरि
धर्मघोषसूरि
यशोघोषसूरि
हेमप्रभसूरि (वि०सं० १२२३/ई० सन् ११६७ में
प्रश्नोत्तररत्नमालावृत्ति के रचनाकार) अममस्वामिचरितमहाकाव्य
पूर्णिमागच्छीय समुद्रघोषसूरि के विद्वान् शिष्य मुनिरत्नसूरि द्वारा यह प्रसिद्ध कृति वि०सं० १२५२/ई० सन् ११९६ में रची गयी है। रचना के अन्त में प्रशस्ति के
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