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________________ १६० बृहद्गच्छ का इतिहास अन्तर्गत ग्रन्थकार ने अपनी गुरु-परम्परा दी है,४ जो इस प्रकार है : चन्द्रप्रभसूरि (पूर्णिमागच्छ के प्रवर्तक) धर्मघोषसूरि समुद्रघोषसूरि मुनिरत्नसूरि (वि०सं० १२५२/ई० सन् ११९६ में अममस्वामिचरितमहाकाव्य के रचनाकार) प्रत्येकबुद्धचरित पूर्णिमागच्छीय शिवप्रभसूरि के शिष्य श्रीतिलकसूरि अपरनाम तिलकाचार्य ने वि०सं० १२६१/ई० सन् १२०५ में इस ग्रन्थ की रचना की। श्रीतिलकसूरि द्वारा रचित कई कृतियां मिलती हैं। श्री मोहनलाल दलीचन्द्र देसाई ने इनकी गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है,५ जो इस प्रकार है : चन्द्रप्रभसूरि (पूर्णिमागच्छ के प्रकटकर्ता) धर्मघोषसूरि चक्रेश्वरसूरि शिवप्रभसूरि श्रीतिलकसूरि (वि०सं० १२६१/ई० सन् १२०५ में प्रत्येकबुद्धचरित के रचनाकार) प्रत्येकबुद्धचरित अभी अप्रकाशित है। शान्तिनाथचरित यह कृति पूर्णिमागच्छ के अजितप्रभसूरि द्वारा वि०सं० १३०७ में रची गयी है। जैसलमेर और पाटण के ग्रन्थ भण्डारों में इसकी प्रतियां संरक्षित हैं। कृति के अन्त Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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