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अध्याय-७
विजयसेनसूरि
धर्मदेवसूरि
(त्रिभवीयाशाखा के प्रवर्तक वि०सं० १३८६/ई०सन् १३३० के प्रतिमालेख में उल्लिखित)
धर्मचन्द्रसूरि
धर्मरत्नसूरि
धर्मतिलकसूरि
धर्मसिंहसूरि
धर्मप्रभसूरि (वि०सं० १४७१-१४७६) पिप्पलगच्छगुरु-स्तुति के रचयिता
धर्मप्रभसूरिशिष्य (वि०सं० १४८२-१५१०) प्रतिमालेख देवचन्द्रसूरि विजयदेवसूरि धर्मसुन्दरसूरि धर्मसूरि (वि०सं०१४८७) (वि०सं० १५०३-१५३०) (वि०सं०१५११) (वि०सं०१५२०) प्रतिमालेख प्रतिमालेख
प्रतिमालेख प्रतिमालेख
शालिभद्रसूरि धर्मसागरसूरि (वि०सं०१५१७-२८) (वि०सं०१४८५-१५३५) प्रतिमालेख
प्रतिमालेख
धर्मप्रभसूरि
धर्मवल्लभसूरि (वि०सं०१५६१) (पिप्पलगच्छगुर्वावली
में उल्लिखित) वि०सं०१५२८ और वि०सं०१५५९ के प्रतिमालेखों में पिप्पलगच्छ की तालध्वजीयाशाखा का उल्लेख मिलता है। सम्भवत: सौराष्ट्र में स्थित तलाजा नामक स्थान से यह शाखा अस्तित्व में आयी हो। इन प्रतिमालेखों का विवरण इस प्रकार है :
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