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________________ १५० बृहद्गच्छ का इतिहास शालिभद्रसूरि (वि०सं०१५१६-१५२८) प्रतिमालेख धर्मसागरसूरि (वि०सं०१४८४-१५३५) प्रतिमालेख धर्मप्रभसूरि (वि०सं०१५६१) प्रतिमालेख पिप्पलगच्छीयगुरु-स्तुति द्वारा त्रिभवीयाशाखा के धर्मप्रभसूरि के पूर्ववर्ती आचार्यों के नाम से ज्ञात हो चुके हैं । पिप्पलगच्छगुर्वावली१६ से हमें धर्मसागरसूरि के एक अन्य शिष्य धर्मवल्लभसूरि का भी पता चलता है। इस प्रकार साहित्यिक और अभिलेखीयसाक्ष्यों के आधार पर पिप्पलगच्छ की त्रिभवीयाशाखा की गुरु-परम्परा की जो तालिका बनती है, वह इस प्रकार है - सर्वदेवसूरि (वडगच्छीय) नेमिचन्द्रसूरि (वडगच्छीय) शांतिसूरि (वि०सं०११८१/ई०सन् ११२५ में पिप्पलगच्छ के प्रवर्तक) महेन्द्रसूरि विजयसिंहयसूरि देवचन्द्रसूरि पद्मचन्दसूरि पूर्णचन्द्रसूरि जयदेवसूरि देवप्रभसूरि जिनेश्वरसूरि देवप्रभसूरि धर्मघोषसूरि शीलभद्रसूरि परिपूर्णदेवसूरि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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