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बृहद्गच्छ का इतिहास
शालिभद्रसूरि (वि०सं०१५१६-१५२८)
प्रतिमालेख
धर्मसागरसूरि (वि०सं०१४८४-१५३५)
प्रतिमालेख
धर्मप्रभसूरि (वि०सं०१५६१)
प्रतिमालेख पिप्पलगच्छीयगुरु-स्तुति द्वारा त्रिभवीयाशाखा के धर्मप्रभसूरि के पूर्ववर्ती आचार्यों के नाम से ज्ञात हो चुके हैं । पिप्पलगच्छगुर्वावली१६ से हमें धर्मसागरसूरि के एक अन्य शिष्य धर्मवल्लभसूरि का भी पता चलता है। इस प्रकार साहित्यिक और अभिलेखीयसाक्ष्यों के आधार पर पिप्पलगच्छ की त्रिभवीयाशाखा की गुरु-परम्परा की जो तालिका बनती है, वह इस प्रकार है -
सर्वदेवसूरि (वडगच्छीय)
नेमिचन्द्रसूरि (वडगच्छीय)
शांतिसूरि
(वि०सं०११८१/ई०सन् ११२५ में पिप्पलगच्छ के प्रवर्तक)
महेन्द्रसूरि विजयसिंहयसूरि देवचन्द्रसूरि पद्मचन्दसूरि पूर्णचन्द्रसूरि जयदेवसूरि देवप्रभसूरि जिनेश्वरसूरि
देवप्रभसूरि
धर्मघोषसूरि
शीलभद्रसूरि
परिपूर्णदेवसूरि
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