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________________ ११० चौबीसी जीवाभिगमसूत्र लघुवृत्ति जीवानुशासनस्वोपज्ञवृत्तिसह देवदत्तचौपाई, पद्य ५३० धनदेवपद्यरथचौपाई पद्य १८४ धर्मकरण्डकस्वोपज्ञवृत्तिसह धर्मविन्दुवृत्ति धर्मोपदेशमालावृत्ति नाभेयनेमिकाव्य नेमिनाथचरित्र नेमिनाथचरित्र Jain Education International बृहद्गच्छ का इतिहास सुभतिप्रभसूरि ( सुखप्रभसूरि के शिष्य) मरु - गूर्जर, वि० सं० १८२१, देसाई, जैनगूर्जरकविओ, भाग-४, पृ० २३०, गुजरातीसाहित्यकोश, पृ० ४६८. वादिदेवसूरि ( मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य) संस्कृत, जिनरत्नकोश, पृ०१४४, साध्वी महायशाश्रीजी, संपादिका - प्रमाणनयतत्त्वालोक, भूमिका, पृ० १८-१९. वादिदेवसूरि संस्कृत, वि०सं० ११६२, साध्वी महायशाश्रीजी, वही, भूमिका, पृ० १८-१९. मूल ग्रन्थ हेमचन्द्र ग्रन्थमाला, पाटण से प्रकाशित हो चुका है । मालदेव (भावदेवसूरि के शिष्य), मरु-गूर्जर, देसाई, जैनगूर्जरकविओ, भाग २, पृ० ५५ ६५, भाग ३, पृ०३६३ और आगे. वही वर्धमानसूरि (अभयदेवसूरि के शिष्य), वि० सं० ११७२, जिनरत्नकोश, पृ० १९२. जैन साहित्यनो...., कंडिका २९९. मुनिचन्द्रसूरि (यशोभद्रसूरि - नेमिचन्द्रसूरि के शिष्य), संस्कृत, देसाई, जैनसाहित्यनो..., कंडिका ३३२-३४. मुनिदेवसूरि ( मदनचन्द्रसूरि के शिष्य), संस्कृत, वि० सं० १४वीं पूर्वार्ध, जिनरत्नकोश, पृ० १९६. हेमचन्द्रसूरि (अजितदेवसूरि के शिष्य), संस्कृत, जिनरत्नकोश, पृ० २१०. हरिभद्रसूरि (श्रीचन्द्रसूरि के शिष्य), अपभ्रंश, देसाई, जैनसाहित्यनो..., कंडिका ३९७. रत्नप्रभसूरि (वादिदेवसूरि के शिष्य), प्राकृत, वि० सं० १२३३, वही, कंडिका ४८३. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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