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अध्याय-६ कुमारपालप्रतिबोध
कुरुकुल्लादेवीस्तुति
क्षेत्रसमासवृत्ति
खंडनमंडनटिप्पण
षड्शीतिटीका
षोडषिकायें-१६
१०९ सोमप्रभसूरि (विजयसिंहसूरि के शिष्य), प्राकृत, वि० सं० १२४१, प्रकाशित. वादिदेवसूरि (मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य), संस्कृत, जैन स्तोत्रसंदोह, भाग १ में प्रकाशित. हरिभद्रसूरि (जिनदेवसूरि के शिष्य), संस्कृत, वि० सं० १९८५, जिनरत्नकोश, पृ०९८, देसाई, जैनसाहित्यनो.., कंडिका ३४७. परमानन्दसूरि (भद्रेश्वरसूरि के शिष्य), संस्कृत, जिनरत्नकोश, पृ० १००. हरिभद्रसूरि (जिनदेवसूरि के शिष्य), संस्कृत. जैन सहित्यनो...., कंडिका ३४७. रामचन्द्रसूरि (वादीदेवसूरि के प्रशिष्य और पूर्णदेवसूरि के शिष्य) संस्कृत, वि०सं० १३वी शती का उत्तरार्ध, जैनस्तोत्र संदोह, भाग-१ पृ० १३०-१८९. लक्ष्मीनिवास (रत्नप्रभसूरि के शिष्य) संस्कृत, वि०स० १३वीं शती, कापडिया जैन संस्कृत साहित्यनो इतिहास, द्वितीय संस्करण, भाग २, पृ० ३३३. हरिभद्रसूरि (श्रीचन्द्रसूरि के शिष्य) संस्कृत, देसाई, जैन साहित्यनो..., कंडिका ३९७. रामचन्द्रसूरि (वादीदेवसूरि के प्रशिष्य और पूर्णदेवसूरि के शिष्य) संस्कृत, वि०सं० १३वी शती का उत्तरार्ध, जैनस्तोत्र संदोह, भाग-१ पृ० १३०-१८९. जयमंगलसूरि (रामचन्द्रसूरि के शिष्य), संस्कृत, वि० सं० १३१९, Epigraphia Indica, Vol. IX, 190708, p. 79. पूरनचन्द्र नाहर, जैनलेखसंग्रह, भाग-१, लेखांक ९४३-९४४.
घटकपर
चन्द्रप्रभचरित
चतुर्विंशतिका
चामुंडाप्रशस्तिलेख
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