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________________ १०८ बृहद्गच्छ का इतिहास उत्तराध्ययनसूत्र (सुखबोधावृत्ति) देवेन्द्रगणि अपरनाम नेमिचन्द्रसूरि ( आनन्दसूरि के शिष्य), संस्कृत, देसाई, जैनसाहित्यनो..., कंडिका २९७. जिनरत्नकोश, पृ० ३२७ उपदेशकुलक उपदेशपदव्याख्या उपदेशमालादोघट्टीवृत्ति उपधानस्वरूप कलिकुंडपार्श्वस्तवनम् कर्मप्रकृतिविशेषवृत्ति कलिकुण्डपार्श्वनाथ यन्त्रस्तवन, श्लोक १० वादिदेवसूरि ( मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य), अपभ्रंश, साध्वी महायशाश्रीजी, संपादिका प्रमाणनयतत्त्वालोक, भूमिका, पृ० १८-१९. Jain Education International मुनिचन्द्रसूरि ( यशोभद्रसूरि - नेमिचन्द्रसूरि के शिष्य), संस्कृत, वि० सं० १९७४, देसाई, जैनसाहित्यनो..., कंडिका- ३३२-३४, जिनरत्नकोश, पृ० ४८. रत्नप्रभसूरि (वादिदेवसूरि के शिष्य), संस्कृत, वि० सं० १३२८, देसाई, पूर्वोक्त, कंडिका ६३३, जिनरत्नकोश, पृष्ठ ४९-५० C.D. Dalal, Ibid, p. 206, 323. वादिदेवसूरि ( मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य), जिनरत्नकोश, पृ०५३. वादिदेवसूरि (मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य), संस्कृत, साध्वी महायशाश्रीजी, संपा०- प्रमाणनयतत्त्वालोक, भूमिका, पृ० १८-१९. मुनिचन्द्रसूरि (यशोभद्रसूरि - नेमिचन्द्रसूरि के शिष्य) संस्कृत, देसाई, जैनसाहित्यनो..., कंडिका ३३२-३४, जैनग्रन्थावली, पृ० ११५. वादिदेवसूरि ( मुनिचन्द्रसूरि के शिष्य ), संस्कृत, मुनि चतुरविजय, संपा० जैनस्तोत्रसंदोह, भाग-१, पृ० ११८. कीर्तिधरसुकोशलसम्बन्ध, पद्य ४३१ मालदेव (भावदेवसूरि के शिष्य), मरु - गूर्जर. जैन गूर्जर कविओ, नवीन संस्करण, भाग २, पृ०, भाग ३, पृ०३६२ और आगे. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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