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________________ १०६ बृहद्गच्छ का इतिहास सोमप्रभसूरि हरिभद्रसूरि Pt. A. P. Shah, Ed. Catalogue of the Sanskrit and Prakrit Manucripts Ac Vijayadevsuri's and Ac Kasantisuri's Collections. Part-IV, Ahmedabad-1968, p. 95. (विजयसिंहसूरि के शिष्य) कुमारपालप्रतिबोध (प्राकृत) प्रकाशित; शता काव्य और उस पर वृत्ति, (वि० सं० १२४१). सुमतिनाहचरिय, (प्राकृत); जिनरत्नकोश, पृ० ४४६, सुक्तिमुक्तावली अपरनाम सिन्दूरप्रकर, (संस्कृत); जिनरत्नकोश, पृष्ठ ४४१. (श्रीचन्द्रसूरि के शिष्य) चन्द्रप्रभचरित, (अपभ्रंश), वि० सं० १२वीं उत्तरार्ध, देसाई, जैनसाहित्यनो..., कंडिका ३९७. नेमिनाथचरित, (अपभ्रंश), मल्लिनाथचरित, (अपभ्रंश). जैन साहित्यनो.... (जिनदेवसरि के शिष्य) आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण अपरनाम षड्शीति टीका, (वि० सं० १२वीं उत्तरार्ध), देसाई, वही, कंडिका ३४७. क्षेत्रसमासवृत्ति, (संस्कृत), वि० सं० ११८५, देसाई, वही, कंडिका ३४७. बंधस्वामित्ववृत्ति, (संस्कृत), देसाई, वही, कंडिका, ३४७. मुनिपतिचरित्र, (संस्कृत), वि० सं० ११७२ देसाई, वही, कंडिका, ३४७. श्रेयांसनाथचरित्र, देसाई, वही, कंडिका, ३४७. (अजितदेवसूरि के शिष्य) नाभेयनेमिकाव्य, (संस्कृत), जिनरत्नकोश, पृ० २१०. हरिभद्रसूरि हेमचन्द्रसूरि रचनाओं के अकारादिक्रमानुसार तालिका अंजनासुन्दरीचौपाई, पद्य १५९ मालदेव (भावदेवसूरि के शिष्य) म०गू०, देसाई, जैन गुर्जरकविओ, भाग-२, नवीन संस्करण, पृ० ५५६५, भाग-३, पृ० २६२-६४. दामोदर (मालदेव के शिष्य) म०गू०, भोगीलाल सांडेसरा, प्राचीनफागुसंग्रह, पृ० १३७-१४९, देसाई, पूर्वोक्त, नवीन संस्करण, भाग-३, पृ० ३६२-६४. अनन्तनाथस्तवनम् Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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