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________________ १०२ ज्ञानकलश दामोदर देवेन्द्रसूरि अपरनाम नेमिचन्द्रसूरि बृहद्गच्छ का इतिहास सुंधा पहाड़ी का लेख (संस्कृत), चामुंडा के मंदिर पर उत्कीर्ण चाचिगदेव की प्रशस्ति- वि० सं० १३१९. Jain Education International नाहर, Epigraphia Indica, Vol IX, 1907-08, p-79, पूरनचन्द जैनलेखसंग्रह, भाग १, लेखांक ९४३-४४. जैनसाहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, कंडिका ५०५. (अमरचन्द्र के प्रशिष्य और धर्मघोष के शिष्य) सन्देहसमुच्चय (संस्कृत), १४वीं शती ई० का मध्य. Pt. A. P. Shah, Ed. Catalogue of the Sanskrit and Prakrit Manuscripts: Muniraj Shree Punya Vijayajis Collections. Ahmedabad1962, p. 182. मुनिमाल के शिष्य और भावदेवसूरि के प्रशिष्य), अनन्तनाथस्तवनम् (रचनाकाल वि० सं० १६९४) भोगीलाल सांडेसरा, संपा० प्राचीनफागुसंग्रह, पृष्ठ १३६-१४९. मोहनलाल दलीचंददेसाई, जैनगूर्जरकविओ, द्वितीय संस्करण, भाग२, पृ० ५५-६५, भाग ३, पृ० ३६२-६४. (आनन्दसूरि के शिष्य) आख्यानकमणिकोश, प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, वाराणसी द्वारा ई०स० १९६२ में वृत्ति के साथ प्रकाशित. उत्तराध्ययनसूत्र - सुखसुबोधावृत्ति, संस्कृत, वि० सं० ११२९, देसाई, जैनसाहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, कंडिका २९०. P. Peterson, A Third Report of Operation in Search of Sanskrt Mss. P. 10-68, 71, 86. महावीरचरित्र, (प्राकृत), वि०सं० ११३९, जिनरत्नकोश, पृ० ३०६. रत्नचूड़कथा अपरनाम तिलकसुन्दरीरत्नचूड़कथानक, जिनरत्नकोश, पृष्ठ ३२६. नेमिचन्द्रसूरि (आम्रदेवसूरि के शिष्य) प्रवचनसारोद्धार, प्राकृत, वि०सं० १३वीं शती प्रथम चरण, कई स्थानों से विभिन्न संस्करणों में प्रकाशित. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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