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________________ १०३ अध्याय-६ पद्मप्रभसूरि (वादिदेवसूरि के शिष्य) भुवनदीपक अपरनाम ग्रहभावप्रकाश; (संस्कृत); वि० सं० १३वीं शती प्रथम चरण, लक्ष्मी वेंकटेश्वर प्रेस मुम्बई से वि० सं० १९९६ में प्रकाशित. परमानन्दसूरि (भद्रेश्वरसूरि के शिष्य) खंडनमंडनटिप्पण, (वि० सं० १३५० के आस पास), जिनरत्नकोश, पृ० १००. प्रद्युम्नसूरि (वादिदेवसूरि के शिष्य महेन्द्रसूरि) वादस्थल, (वि० सं० १२३२ के आस-पास), देसाई, जैनसाहित्यनो..., कंडिका ४८२ः जिनरत्नकोश, पृ० ३४८ मलयचन्द्र (महेन्द्रसूरि के शिष्य) यन्त्रराजटीका, (संस्कृत), निर्णयसागर प्रेस मुम्बई से १९३६ ई० में मूल ग्रन्थ और टीका के साथ प्रकाशित. महेन्द्रसूरि (मदनसूरि के शिष्य) यन्त्रराज, (संस्कृत), वि. सं० १४२७, निर्णयसागर प्रेस मुम्बई से १९३६ ई० में मूल ग्रन्थ और टीका प्रकाशित. मालदेव (भावदेवसरि के शिष्य) वि० सं० १७वीं शताब्दी, अन्जनासुन्दरीचौपाई, पद्य १५९, अमरसेनवयरसेनचउपइ, पद्य ४०८, कीर्तिधरसुकोशलसम्बन्ध, पद्य ४३१; ज्ञानपंचमीस्तवन, पद्य १७; देवदत्तचौपाई; पद्य ५३०; धनदेवपद्मरथचौपाई, पद्य १८४; नेमिनाथनवभवरास, पद्य २३०; नेमिराजुलधमाल, पद्य ६५, पंचपुरी; पदसंग्रह, पद्मरथचौपाई, गाथा ६९, (वि० सं० १६७६ से पूर्व); पद्मावतीपद्मश्रीरास, पद्य ८१५; पुरंदरचौपाई, पद्य ३७२; बृह्दगच्छगुर्वावली, पद्य ३७; भ्रमरागीत, भविष्यभविष्याचौपाई; भोजप्रबन्ध, पद्य २०००; महावीरपंचकल्याणकस्तवन, गाथा २८; महावीरपारणा; मालशिक्षाचउपई, पद्य ६७; मृगांकपद्यावतीरास, पद्य ४७८; विक्रमपंचदंडचौपाई, गाथा १७२५; वीरांगदचौपाई, पद्य ७०४, रचनाकाल वि० सं० १६१२; वैराग्यगीत; शीलबत्तीसी, शीलबावनी, सत्यकीचउपई, पद्य ४२६; सवैया, सुरसुन्दरीचौपाई, पद्य ६६९; स्थूलिभद्रधमाल, पद्य १०७, उक्त रचनाओं में से 'बृह्दगच्छगुर्वावली' विविधगच्छीयपट्टावलीसंग्रह, पृष्ठ ५२-५५ और शीलबावनी, परिषद पत्रिका, वर्ष ६ अंक ४, पृष्ठ ९६-१०१ पर प्रकाशित हैं। शेष रचनाओं के सम्बन्ध में द्रष्टव्य - मोहनलाल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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