________________
अध्याय-५
। उक्त तालिका में वादिदेवसूरि (वि०सं० १२२९ में स्वर्गस्थ) के पश्चात् और मुनिरत्नसूरि (वि०सं० १३४९ प्रतिलेख) के पूर्ववर्ती जिन ६ मुनिजनों - उपाध्याय विमलचन्द्र, मानदेवसूरि, हरिभद्रसूरि, पूर्णप्रभसूरि, नेमिचन्द्रसूरि और नयचन्द्रसूरि - के नाम आये हैं, उनका यद्यपि किन्ही अन्य साक्ष्यों में कोई उल्लेख नहीं मिलता, फिर भी १२०वर्षों के अन्तराल में ६ पट्टधर आचार्यों का होना स्वाभाविक ही है। ___मुनि कल्याणविजय जी ने मुनिमाल द्वारा दी गयी गुर्वावली में भावदेवसूरि के पश्चात् हुए ८ आचार्यों के नाम दिये हैं, जो इस प्रकार हैं : -
उदयराजसूरि
भट्टारक शीलदेवसूरि
सुरेन्द्रसूरि
प्रभाकरसूरि
माणिक्यदेवसूरि
दामोदरसूरि
देवसूरि
नरेन्द्रदेव
मुनि कल्याणविजय जी द्वारा दिये गये उक्त नामों का क्या आधार है, यह ज्ञात नहीं होता साथ ही साथ इनका न तो किन्ही साहित्यिक साक्ष्यों में नाम मिलता है
और न किन्हीं अभिलेखों आदि में ही। अत: इन्हें प्रमाणों के अभाव में स्वीकार कर पाना कठिन है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org