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________________ श्रीतिलकसूरि Jain Education International भद्रेश्वरसूरि मुनिप्रभसूरि (वि०सं० १४८६) प्रतिमालेख भट्टारक मुनीश्वरसरि (वि०सं० १४७९) प्रतिमालेख आचार्य रत्नप्रभसूरि (वि०सं० १४८६-१४९९) प्रतिमालेख चन्द्रप्रभसूरि (वि०सं० १४८६) प्रतिमालेख भट्टारक महेन्द्रसूरि आचार्य रत्नाकरसूरि (वि०सं० १५००-१५१९) प्रतिमालेख (वि०सं० १५११-१५१५) प्रतिमालेख गुणनिधानसूरि (वि०सं० १५१८) प्रतिमालेख भट्टारक मेरुप्रभसरि (वि०सं० १५१८-१५५७) प्रतिमालेख आचार्य राजरत्नसूरि (वि०सं० १५१३-१५३४) प्रतिमालेख For Personal & Private Use Only भट्टारक मुनिदेवसूरि (वि०सं० १५५९) प्रतिमालेख आचार्य रत्नशेखरसूरि आचार्य संयमरत्न वाचक ज्ञानप्रभ (वि०सं० १५५८) प्रतिमालेख भट्टारक पुण्यप्रभसूरि (वि०सं० १५५९) प्रतिमालेख भट्टारक भावदेवसूरि (वि०सं० १६०४ में भट्टारक पद प्राप्त) बृहद्गच्छ का इतिहास मुनिमाल (बृहद्गच्छगुर्वावली एवं अन्य विभिन्न कृतियों के कर्ता) वाचक पुण्यरत्न (वि०सं० १६२० में कल्पान्तर्वाच्य के प्रतिलिपिकार) www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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