________________ ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया इस पुस्तक में ओशो आत्म-जागरण के उन पांच वैज्ञानिक उपकरणों पर चर्चा करते हैं जिन्हें पंच-महाव्रत के नाम से जाना जाता है-अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य, अकाम व अप्रमाद। ये पंच-महाव्रत जब ओशो की रसायन शाला में आते हैं तो ओशो अप्रमाद यानि होश, अवेयरनेस को बाकी चार से अलग कर लेते हैं और उसे विस्तीर्ण रूप से समझाते हुए एक मास्टर की हमें थमा देते हैं जिससे बाकी चार ताले सहज ही खुल जाते हैं। ओशो कहते हैं, 'अप्रमाद साधना का सूत्र है। अप्रमाद साधना है।... अहिंसा-वह परिणाम है, हिंसा स्थिति है। अपरिग्रह-वह परिणाम है, परिग्रह स्थिति है। अचौर्य-वह परिणाम है, चोरी स्थिति है। अकाम-वह परिणाम है, कामवासना या कामना स्थिति है। इस स्थिति को परिणाम तक बदलने के बीच जो सूत्र है, वह है-अप्रमाद, अवेयरनेस, रिमेंबरिंग, स्मरण।' Jyon Ki Tyon Dhari Deenhi Chadariya Jain Education InternationBN 978-81-72-or Personal & Private Use Only www jainelibrary.org