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कृपया बताइए कि टोटल एक्शन का आप क्या अर्थ लेते हैं? और यह भी बतायें कि संभोग की प्रक्रिया में टोटल यानी पूर्ण होने का क्या अर्थ है? क्या उसमें ऊर्जा के क्षय न होने का अर्थ है?
___ कर्म पूर्ण हो, कृत्य पूरा हो तो ऊर्जा क्षीण नहीं होती। कोई भी कर्म पूरा हो तो ऊर्जा क्षीण नहीं होती है। जब मैंने ऐसा कहा तो मेरा अर्थ है कि कृत्य अधूरा तब होता है जब हम अपने भीतर खंडित और विभाजित और कांफ्लिक्ट में होते हैं। जब मैं अपने भीतर ही टूटा हुआ होता हूं तो कृत्य अधूरा होता है।
समझें कि आप मुझे मिले और मैंने आपको गले लगा लिया। अगर इस गले लगाते वक्त मेरे मन का एक खंड कह रहा है कि यह क्या कर रहे हो? यह ठीक नहीं है, मत करो। और एक खंड कह रहा है कि करूंगा, बहुत ठीक है। तो मेरे भीतर मैं दो हिस्से में बंटा हूं और लड़ रहा हूं। आधे हिस्से से मैं गले लगाऊंगा और आधे हिस्से से गले से दूर हटने की कोशिश में लगा रहूंगा। मैं एक ही साथ दो विरोधी काम कर रहा हूं। इन विरोधी कामों में मेरे भीतर की मनस-ऊर्जा क्षीण होगी। लेकिन अगर मैंने पूरे ही हृदय से किसी को गले लगा लिया है और उस गले लगाने में मेरे हृदय में कहीं भी कोई विरोधी स्वर नहीं है तो ऊर्जा के नष्ट होने का कोई भी कारण नहीं है। बल्कि यह पूर्ण आलिंगन मुझे और भी ऊर्जा से भर जाएगा, मुझे और भी आनंद से भर जाएगा।
शक्ति क्षीण होती है कांफ्लिक्ट में, इनर कांफ्लिक्ट में। भीतरी अंतर्द्वद्व शक्ति के क्षीण होने का आधार है। कितना ही अच्छा काम कर रहे हों, अगर भीतर विरोध है तो शक्ति क्षीण होगी ही, क्योंकि आप अपने भीतर ही लड़ रहे हैं। यह वैसा ही है जैसे मैं एक मकान बनाऊं। एक हाथ से ईंट रखं और दूसरे से उतारता चला जाऊं, तो शक्ति तो नष्ट होगी और मकान कभी बनेगा नहीं।
हम सब स्व-विरोधी खंडों में बंटे हैं। हम जो भी कर रहे हैं उसके बाहर भी, हमारे विरोध में कोई चीज खड़ी है। अगर हम किसी को प्रेम कर रहे हैं तो उसे घृणा भी कर रहे हैं। अगर हम किसी से मित्रता बना रहे हैं तो शत्रुता भी बना रहे हैं। अगर किसी के पैर छू रहे हैं तो दूसरे कोने से उसके अनादर का इंतजाम भी कर रहे हैं। हम पूरे समय दोहरे काम कर रहे हैं। इसलिए प्रत्येक आदमी धीरे-धीरे दिवालिया हो जाता है, उसके भीतर की शक्ति बैंक्रप्ट हो जाती है। वह खुद ही अपने से लड़ कर मर जाता है।
देखें अपनी तरफ, भीतर देखें तो आपके खयाल में बात आ जाएगी। जब भी कोई काम कर रहे हैं, यदि आप पूरे उसमें हैं तो आप सदा ही और भी ताजे, और भी शक्तिशाली होकर उस काम से बाहर आएंगे। और अगर आप अधूरे उस काम में हैं तो आप थक कर चकनाचूर होकर, टूटकर बाहर आएंगे।
इसलिए जो लोग भी किसी काम को पूरा कर पाते हैं जैसे चित्रकार है, अगर वह अपने चित्र को रंगने में, बनाने में, पूरा लग जाता है, तो कभी भी थकता नहीं है। वह पूरे
24 ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया
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