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प्रश्नोत्तर
DAI शो, आप बहुत बार कहते हैं कि भौतिक संपन्नता आध्यात्मिक विकास का
आधार है; लेकिन अपरिग्रह पर हुए पिछले प्रवचन में आपने कहा कि कम
चीजें हों तो व्यक्ति कम गुलाम होता है, और चीजें अधिक हों तो व्यक्ति अधिक गुलाम हो जाता है। कृपया संपन्नता व अपरिग्रह के इस मौलिक विरोधाभास को स्पष्ट करें, और साथ ही समझायें कि अधिक चीजें व्यक्ति को अधिक गुलाम कैसे बनाती हैं? और पजेसर कैसे पजेस्ड हो जाता है?
संपन्नता आध्यात्मिक जीवन का आधार है, लेकिन आधार से ही कोई भवन निर्मित नहीं हो जाता। आधार भी हो, और भवन न उठाया जाये, यह हो सकता है। भवन तो बिना आधार
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