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बह्मचर्य
प्रश्नोत्तर
शो, आपने कहा है कि आत्म-अज्ञान ही हिंसा का स्रोत है और कल आपने ला कहा कि हिंसा-वृत्ति के लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेवार है, तो क्या आत्म-अज्ञान
- के लिए भी मनुष्य स्वयं जिम्मेवार है? क्यों और कैसे, इसे स्पष्ट करें।
अंधेरी रात हो अमावस की, और कोई अपनी गुहा में बैठा हो अंधकार में डूबा हुआ, तो आंखें बंद रखे या आंखें खुली रखे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। आंखें बंद हों, तो भी अंधकार होगा; और आंखें खुली हों, तो भी अंधकार होगा। लेकिन फिर सुबह हो जाये, सूर्य निकल आये, सूर्य की किरणों का जाल उस गुहा के द्वार पर फैल जाये, पक्षी गीत गाने लगें; और फिर भी वह आदमी अपनी आंखें बंद किए बैठा रहे, तो फर्क पड़ता है।
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