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अहिंसा
रे प्रिय आत्मन्! अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य, अकाम और अप्रमाद-ये सभी शब्द नकारात्मक हैं,
निगेटिव हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण बात है। असल में साधना नकारात्मक ही हो सकती है, निगेटिव ही हो सकती है। उपलब्धि पॉजिटिव होगी, विधायक होगी। जो मिलेगा वह वस्तुतः होगा और जो हमें खोना है, वह वही खोना है जो वस्तुतः नहीं है। ___ अंधकार खोना है, प्रकाश पाना है। असत्य खोना है, सत्य पाना है। इससे एक बात
और खयाल में ले लेनी जरूरी है कि नकारात्मक शब्द इस बात की खबर देते हैं कि अहिंसा हमारा स्वभाव है, उसे पाया नहीं जा सकता, वह है ही। हिंसा पायी गयी है, वह हमारा स्वभाव नहीं है। वह अर्जित है, अचीव्ड। हिंसक बनने के लिए हमें कुछ करना पड़ा है।
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