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जयवंतसूरिकृत ..
तूटक
तस पुत्र हऊवु अतिहि लहूउ, पुण्य बहूउ गुणि वडु, सोइ पाप छंडन कुमति खंडन, जिम कुसुम-मंडन केवडु, सोइ सेठि-नंदन मेरू-नंदन, शिशिर-चंदन गुण-निलउ, दालइ कंदन सर्व वंदन, सुजन आनंदन भलु. ७० नाम-महोत्सव बारमइ दिवसि, करइ अभिरामजी, देवी अनुभावई हवु, अजितबल इति नामजी,
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तूटक
तस नाम दीधु पुण्य कीg, काज सीधूं तस तणउं, ढमढोल ढमकया घूधर घमक्या, चतुर चमकिया चित्त घणउं सोइ कुमर वाधइ कला साधइ, पुण्य आराधइ इसिउं, अति सुगण सुंदर मयण-मंदिर, हेम मंदिर तनु जसिउं. ७१ चतुर चकोरह मुद दीइ, दीन दीन वाधइ सोइजी, सकल कलाई पूरीउ, रयगायर सुत जोइ जी.
तूटक जे देखि तलिनी नयन-नलिनी, नील-दलनी विहस ए, बिहू पक्खि पूरू नहीं अधुरू, मित्र सूरु दीस ए सोइ निःकलंकी सिंह-लंकी, जडित मूंकी गुणि वडु .. गुणि चंद सरिखु चतुर निरखु, अंतर परिखु अवडु. ७२
दिनि दिनि वाघइ कुमर ते, जिम सुदि केरू चंद, सकल कलाई .. अलंकरिउ, त्रिभुवन नयणां-नंद, .७३ ... सुंदर सुत देखी करी, चिंतइ हैडइ तात, ए सरखी जांग कन्यका, किम मिलसिइ विख्यात, ७४ एहवइ रत्नाकर तणउ, परदेसी एक मित्र, आविउ दिवसि घणेरडे, पूछिउँ तास चरित्र. ७५
ढाल ५.
राग : केदार गुडी
(कपुर हुंइ अति उजळू, ओ देशी ) मित्र कहइ तव वातडी रे, मीठी सरस अपार, मयंगला नयरीइं गयुं रे, हूंतु करण व्यापार. ७६
बंधवजी वातलडी अवधारी, महारा मननु अंक आधार, तु दीन तणउ उद्धार.... ... ... ...दुपद तथा आंचली.
तुं
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