SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५१) इई कारान्त पुल्लिग नामो पहेली/बीजी अकवचन प्रत्यय रहित : गृहपति (२४५), सारथपति (१३९१), ढंढणरिखि (१९१), ज्ञानी (१९९), योगी (११९६) पडोशी (२०७३). विकारी : अलंकरिउ (७३), अंगणिउ (२११०), पटहाथिउ (६४२) पापीउ (१४०८) कठीउ (१७९१), दारिद्रीउ (२२२८). पहेली/बीजी वहुचनब 'आ' प्रत्यय : धूलीआ (१७०), पंथीआ (२३०), पापीआ (१७६१). 'इ/ई'कारान्त स्त्रीलिंग नामो पहेली/बीजी अकवचन अप्रत्यय : हाणि (१२९), मालति (३३६), वेडि (१४०७), आरती, (४७), बोरडी (१७३७), __ धरणी (२३१०). पहेली/बीजी बहुवचन त्रीजी/सातमी अकवचन 'ई' प्रत्यय : सृष्टि (२२४), सतीइ (४२६), सेरीइ (५५६), गोरीइ (११७५). 'इई' प्रत्यय : शरदिई (५०२), दैवि (१४२९). त्रीजी/सातमी बहुवचन इं' प्रत्यय : कामीनीइ (५५६), डालीइ (५५७), नदीइ (११८९). 'उ'कारान्त नामो अविकारी : केतु (४७), राहु (२९९), रिपु (४९९), वसु (१३१५) [पुलिंग]. कामधेनु (१२), ऋतु (१३), वहु (३४७), इक्षु (१३६२). [स्त्रीलिंग]. प्रश्रु (१२), सुरतरु (१२), जीतु (३) बिन्दु (१८३९) [नपु०] 'ऊ'कारान्त नामो कुलवह (३५०), नववधू (३८६), [स्त्रीलिंग भू (२४५), थालू (२२०८), कूडू (२२४९) [नपु०] नामयोगीओ-अनुगो उपर्युक्त विभक्ति प्रत्ययो सिवाय बाकीनां रुपाख्याना-नामयोगीओ-अनुगाथी करवामां आवे छे. नामयोगीओ आ कृतिमां पण ठीक प्रमाणमां मळे छे. अमांना केटलांक अक करता वधु विभक्तिओ माटे वपरातां होई अने बीजां के जेओने काई चोकस अर्थ नथी अने तहन जुदी ज रचना लई शकनारा हाई से प्रत्येक कोई एक ज विभक्तिनां छे वो विभाग करवानं थे शक्य नथी. अत्रे नीचे केटलाक नामयोगी अनुगोने विभक्ति प्रमाणे वर्गीकरण करी रजू करवाना प्रयास को छे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy