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________________ ७. शंगारमंजरी : भाषासामग्री भाषासामग्रीनी दृष्टिले 'शृंगारमंजरी अक महत्त्वनी कृति छे. अनी ध्वनिमाळामां 'ऋ' के 'ळ' देखाता नथी. तद्भव शब्दामा अन्त्य के उपान्त्य स्वरयुग्मो 'अइ' अने' अउ'मांथी हजु 'अ' के 'औ' स्वरो विकस्या नथी, जोके अनु उच्चारण थतु हशे अम कही शकाय. औ अने औ तत्सम् शब्दामा सचवाया छे. उ त. दैव (९९), भैरवी (१५५), चौर (२४६), यौवन (५८७). '' बहुधा 'रि'मा रूपान्तरित थयो छे. उ.त. रिजुमति (१६९), ढंढरिखि (१९१), रितुपति (११२९). चरणांत प्रासमां काईबार 'इ' अने 'अ ने। प्रास सधाया छे. जे 'इ'नु प्रतिसंप्रसारण थई लघुप्रपत्न 'य' थता होवानु सूचन छे. उ.त. नवि होय... नहीं कोई (1९९), प्रथम संभागि.. शीलवत योग्य (४००), संसारइ तेह...ठारवण करेइ (१०९३), प्रीणइ लाइ...वहइ सेाय (१२६२) ___ शब्दमां कवचित लघुप्रयत्न 'य' मळे छे. उ.त. संभाज्य (११९), तिस्यु (१३८४), च्यारि (२०७४). 'ह'नु लेखन स्वरसहित जुदु मळे छे. उ.त. नान्हलडी (६८९), अवह रची (६९७), अहवी (१३३६), बप्पीहडा (१३५१). न' अने 'ण'मांथी तद्भव शब्दमां स्वरमध्यवती 'ण' सविशेष आवे छे. मूळ संस्कृत 'न' नो (प्राकृत-अपभ्रंश द्वारा) प्रा.गु.मां 'ण' थयो. छे. उ.त. भाण (६६), नाण, (१०८५). माण (१३८७). 'श', 'धू', 'म्' से अत:स्थ वर्णामांथी मूर्धन्य 'ष' प्रा.गु.मां तत्सम शब्दामां ज सचवायो छे, उ.त. शेष (१७४), विषम (७६१). प्राचीन गुजराती ग्रंथोमां तद्भव शब्दामा ज्यां 'ब' आवे त्यां छे से घणुखर हमेशां 'ख'नां लेखन प्रतीक तरीके वपरायेलो होय छे, उ.त. भाषाइ (१३१२). विष (१३६१), भूष (१४०४). जोके केटलांक तत्सम शब्दामां 'शू' सचवायो ले उ.त. शब (११९) अंकुशि (१५३१). संस्कृत शब्दमा 'श' प्रा.गु.मां बहुधा विकार पामीने 'स' बने छे उ त. दिसिइ (१९), परदेशी (७५), सिरि (१४८५). सामलां (१९१०). कवचित् स्वरमध्यवर्ती 'ई'नु प्रतिसंप्रसारण थयु ले. उ.त. वइरी (७८८), वइरणी (१०६९). प्राकृतमा केटलाक अनादि असंयुक्त वर्णना लेाप पछी उद्वृत्त (अवशिष्ट रहेला) स्वरमा 'य' श्रुति प्रवेशे छे. [जुओ, सिद्धहेम ८-१-७७] अना केटलांक उदाहरणा 'शंगारमंजरी'मां मळे छे. उ,त. मयगल (५०९) गयण (८९१), मायताय (२०३३). Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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