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आ पछी वार्ता मंथरगतिए आगळ बघे छे. अजितसेन-शीलवती आनद-विनोद अर्थ समस्याबाजी करे छे. अत्रे आपणने सोएक कडीमां [३६५-४६२] विविध प्रकारनी अॅसी जेटली समस्या मळे छे. अत्रे कथाप्रवाह लगभग थंभी जाय छे. पण समस्याबाजी तत्कालीन जमानामां खूब लोकप्रिय होई आम बनवु स्वाभाविक छे. रत्नाकरन मृत्यु थतां अजितसेन अने शीलवती गृहपति अने गृहस्वामिनी बने छे.
मधु मासन आगमन थता अजितसेन अने शीलवती वसंतविहार अथे अन्य युवाद स्त्री पुरुषो साथे वनमां जाय छे. कवि अत्रे युवान-स्त्री पुरुषना विविध विलास अने वसंतना आगमने प्रकृतिमा जे उल्लास प्रसरे छे अनुं कलात्मक रीते विस्तारथो आलेखन करे छे. ढूंकमां कहीए तो कवि अत्रे एक फागु काव्यनी ज रचना करी छे. वस्तुसंकलनानी दृष्टिले अहीं कथाप्रवाह साव मंद-लगभग स्थिर थई गयेलो लागे पण मध्यकालीन रासोमां आवं प्रकृति निरूपण एक अनिवार्य लक्षण होई तेम बनवू सहज छे..
___ आ पछी कथा प्रबाह पाछो शीघ्र गतिथे चाले छे. अजितसेनने शीलवती द्वारा उद्यम अने उत्कर्ष अर्थ राजसंपर्क साधवानी सूचना आपवी अने तदानुसार अजितसेननु नित्य राजसभामां जवु, राजा अरिमर्दनने राजसभामा ४९९ मंत्री होवा, राजानी पांचसोमो मुख्य मंत्रीनी नियुक्ति करी राजकाजना भारमाथी मुक्त थवानी इच्छा, मुख्य मंत्रीनी नियुक्ति अर्थ एनी बुद्धि चातुर्यनी कसोटी करवा राजसमा समक्ष कोयडाओ रजू करवा, राजा द्वारा रजू थयेला 'हस्तीतलिन' अने 'चरणप्रहार'ना कोयडाओनो अजितसेने शीलवतीनी सलाहसूचनथी सूचवेला साचा उकेलो, बुद्धिप्रभावथी प्रसन्न थयेला राजा द्वारा अजितसेननी मुख्यमंत्री तरीके निमणूक करवी तथा राजा समक्ष उपस्थित थयेल 'दीन-धूत'ना केोयडानो अजितसेने सूचबेल साचो उकेल इत्यादि कथांशो कवि ओक पछी एक अविरत गतिऐ निरुपी जाय छे. जे कविनी प्रसंगोनी रजु करवानी कुशल. तानी शक्तिने सूचवे छे. आ पछी कवि संक्षिप्तमां शीलवती द्वारा पोताना शील साथे संकळायेल अम्लान कमल शील-प्रतीक आपवाना प्रसंगर्नु निरुपण करे छे.
आ पछी पाछो कथा प्रबाह मंदगतिए चाले छे. कवि आ पछी नवदंपती अजितसेन अने शीलवती बच्चेना प्रणय अने प्रणयकलहन कंईक विस्तारथी आलेखन करे छे. आ पछी राजा अरिमर्दन अजितसेनने युद्धार्थे पोतानी साथे आववानी आज्ञा करे छे. अहीं कथा कईक जुदो ज वळांक ले छे. आ प्रसंगनो कवि औचित्यपूर्वक विनियोग करी अजितसेनने शीलवतीना पडनार विरहना प्रसंगनं आलेखन करे छे. आवी पडनार विरहना ख्यालथी व्याकुळता अनुभवता अजित. सेननी व्यथा-वेदनाने कवि विस्तारथी आलेखे छे. जेमां कविनी उत्कट भावालेखननी शक्तिना दर्शन थाय छे. व्यथित अजितसेनन गृहे आवयु, अनी आवी व्यथित स्थिति जोईने ते अंगे शीलवतीनी प्रच्छा, अजितसेने राजानी आज्ञानु करेल कथन, कथनना श्रवण मात्रथी शीलवतीनं बेभान थई जव, अजितसेननु शीलवतीने जाग्रत करी आश्वासन आप इत्यादि प्रसंगो कवि नाट्यात्मक रीते आलेखी जाय छे.
अजितसेन शीलवती पासे विदाय लेवा जाय छ, ते प्रसंगे कवि दंपतीना परस्परना स्नेहनी उत्कता, अकबीजानी अनुपस्थितिमा उपस्थित थनार विरहनी व्याकुळतानु विविध उपमा, उत्प्रेक्षा अने दृष्टान्तनी परंपरा योजी विस्तारथी वर्णदे छे. केटलाक स्थाने कवि जयवंतसुरिने।
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