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राजाने क्रीडा अर्थे उपवन तरफ जतो जुए छे तेने जोई पातालसुदरी विचार करे छे के - “मने केदीनी माफक पूरी राखे छे अने पोते इच्छा मुजब हरेफरे छे. ते जाणे छे के हु बहु चतुर पण हुं ते राजाने छेत तो ज खरी. "
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आम नक्की करी तेणे सार्थवाह अनंगदेवने कहौं, तु राजाने जमवानुं आमंत्रण आप अने पीरसवानुं मने सांपजे. " प्रथम तो राजाथी बीता सेवा अनंगदेवे आनाकानी करी पण अंते पातालसुंदरीना आग्रहने वश थई राजाने भोजन अर्थे निमंत्रण आप्युं. घणा आग्रहना अंते राजाओ ते आमंत्रण स्वीकार्य अने अजीत सेनने घेर आव्यो. पातालसुंदरीए राजा जमवा. बेठो भेटले सर्व शृंगार सजी तेने पीरसत्रा माड्युं, राजा अनु सौन्दय जोई प्रथम चमके छे पण पछी अने पातालसुंदरी होवानी शंका थाय छे; पण ते विचारे छे के" पातालसुंदरीने तो हु भांयरामां पूरीने आव्यो छु तो ते अहीं केवी रीते आवी शके ! आ तो ओना रूपने अनुरूप अनंगदेवनी स्त्री हो." अम समाधान करी ते शंकानुं निवारण करे छे पातालसुंदरी फरी परसवा आवी. तेने जोई वळी राजाने शंका घेरी वळी, भेटले ज्यारे ते पुन: पीरसवा आवी त्यारे राजाओ सुंदरी न जाणे एम भोजनसामग्रीमांथी ओक "छांट" तेना वस्त्र पर नाखी. पण पातालसुदरीने ते वातनी खबर पडी गई. शंका पडवाथी जेनो भोजनमां रस उडी गयो छे ओवो राजा जलदीथी मद्देले पाछो फर्यो, आ बाजु पातालसुंदरी पण 'छांट' वाळां वस्त्र बदलीने सुरंग वाटे भयरामां आवी सूई गई. राजाओ सर्व ताकां उघाडी भांगरामां आवी जोयु तो पातालसुंदरी उंघती पडी छे. राजाने आवेलो जाणी ते कृत्रिम उघमाथी बगासां खाती उठी. राजाए भेना वखनुं बारीकाईथी अवलोकन कयु पण एने “छांटनी कोई पण निशानी देखाई नहीं. आम शंकानु समाधान थई जतां ते पातालसुंदरी जोडे फरीथी प्रथमनी माफक विलास करवा लाग्यो.
पातालसुंदरी अनंगदेव साथै पलायन थवं अने राजा तेमने वळावा जाय छे.
लांबा समयना अकान्तवासथी कंटाळी गयेली पातालसु दरीए अक वखत अनंगदेव ने कह के “मारे आ देशमां रहेवु नथी, माटे तमारा देशमां जवानी तैयारी करो अने हुं पण साथे आवु छु." अनंगदेवे राजानो भय दर्शावी तेम करवानी पोतानी आनाकानी बतावी. पण पातालसुदरीओ पोतानी इच्छा जारी राखतां, एनी सूचनाने अनुसरीने "मारां माता - पिताए मने जलदीथी बोलाव्यो छे." ओवो कृत्रिम लेख राजाने बतावी, तेनी पासे जवानी आज्ञा मांगी. राजाओ अनिच्छाए तेने एना नगर जवानी रजा आपी. अनंगदेवनी इच्छा प्रमाणे राजा तेमने समुद्रना कांठा सुधी वळावा आववा कबूल थये।.
हवे शुभ दिवसे सार्थवाह पोतानां वहाणो तैयार करी पोताना देश जवा तैयार था. राजा पण तेओने वळाववा तेमनी साथे थयो. पातालसुंदरी पण सुरंग वाटे अनंगदेवना आवासे आवी, सज्ज थई, पालखीमां बेसी समुद्र किनारे जवा तैयार थई. पोतानी पालखी राजानी पासे राखी ते राजाने कद्देवा लागी, "आपनी कृपाथी अमे घणु धन उपार्जन कर्तुं छे. वळी अमारो अज्ञानथी कोइ अपराध थयो होय तो माफ करजो." आम वार्तालाप करतां ते त्रणे समुद्रकिनारे आवी पछेंांच्यां अनंगदेव अने पातालसुंदरी राजाने 'छेल्ला जुहार' करी वहाणमां बेठां. थोडी वारमां वहाणो दृष्टिमर्यादा बहार नीकळी गया. दु:ख अनुभवतो राजा पोताना महेले पाछो फर्यो.
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