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________________ (२५) बीजा गीतमा 'दीप-पतंम'ना दृष्टांत द्वारा अपक्षी प्रेम-विरहनु वर्णन कर्यु छे. गीतनेा उपाड सचोट छे धिग् पडउ पापी नगणनइ, जस वेधि झूरि मरंति, जे सुपन मांहि नवि मिलइ, ते देखी रे नेहडउ धरति. १ अने कवि अपक्षी नेह-विरहनु वर्णन करता कहे छे. झुरि मरइ ओक ओक विना, मनि अवर न धरई नेह, कां देव ति इम सरजीउ, दाहिलुदोहिलुरे ओक-पक्ष सनेह.२ ४ अने काव्यान्ते कहि कहे छे. मोकलु टयन विकार जु, तु दीपि पडइ पतंग, जयवंत पंडित बुझवइ, मम करयो विषयन संग.३ ७ छेल्ला गीतमा स्थूलिभद्र कोशाना नेह-विरहनु वर्णन कर्यु छे. मुनि बनेला स्थुलिभद्र कोशाने कहे छे. थुलिभद्र कहि सुणि गोरडी, मनि ओछ् आणइं कांइ रे, जेह सिउ बोलया बालडा, वाहला ते किम किम वीसरियां जाइ कि.४ ६ .. जयवंतसूरिकृत-गीतसंग्रहपनी प्रारंभनी रचना 'पद्मावती गीत' माधुर्ययुकत होवाने लीधे उल्लेखनीय छे. सकल सुखकारिणी, शुभ लता सारिणी, जन मनाहारिणी, विश्व महितो, अंकुश धारिणी विहविहारिणी, विघ्रविडारिणी महिम सहिता. . आइ जागि पद्मावती पास गुणगावती, कविजन भावती विश्वजननी, भक्तजन थापती त्रिभूवन व्यापती, पूरि आशा सदा मुज्झ मननी.. आ संसार भवनां उदधिमां तरी जवा माटे धरमरुपी प्रवहणनी अगत्यता निरूप] 'प्रवहण गीत' पण जोवा जेवु छे. प्रवहण अभिनव धरमन, भवोदधि मांहि तरंति रे, अन्या प्रमहणि पूतिजी, अन्या प्रवहणिइ पुरीउ. पुण्य--क्रियाण घरंतिजी७..दुपद, तो स्थूलिभद्रना विरहथी व्याकुल बनेली कोशा एमनी वाट जुवे छे. आवता. जता जे पथिकाने स्थूलिभ विशे पृच्छ। करे छे. आवी विरह अवस्थामां बपैया शिळ पिठं करे छे. ए १ नेमिनाथ आदि गीतसंग्रह, पृ २,१ २ एजन पृ. २, ४ ३ एजन पृ. ३, ७ ४ एजन पृ. ३,६ ५ पुण्यविजयजो हस्त प्रत ग्रंथभंडार, ला. द. विद्यामंदिर, हस्तप्रप्रत क्रमांक ३०६७ ६ गीतसंगृह, पृ. १, १ ७ एजन पृ. ४ ५. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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