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________________ (१२) २. ऋषिदत्तारास आ रास कृतिना ५४८ कडीना विस्तारमा कविले 'जैन साहित्य'मां प्रचलित 'सती ऋषिदत्ता'नी कथाने छटादार शैलीमां रजू करी छे. कवि काव्यमा सामान्यतः पंडित जयकीर्तिरचित शीलोपदेशमाला पर सोमतिलकसूरिए आपेल वृत्ति अन्तर्गत प्राप्त थती ऋषिदत्ता कथाने अनुसरे छे. पण कवि पोतानी प्रतिभा अने सामर्थ्य अनुसार एना वस्तुसंकलना, पात्रालेखन, भावनिरूपण, वर्णनालेखन, अलंकार योजना जेवां पासाओमां कुशळता दर्शावी एने अक पद्यात्मक रासनुं स्वरूप आप्यु छे. [आ अंगे श्री निपुणा अ. दलालनेो महानिबंध जयवंतसूरि रचित ऋषिदत्तारास' प्रगट थयेलो होई अत्रे एनी समीक्षा प्रस्तुत करी नथी.)१ २. नेमिनाथ राजीमती बारमास वेलप्रब घर __ आ कृतिनी रचना सं. १६१ ४२ [ई. स. १५५८] थई होवार्नु हो. भोगीलाल सांडेसरा अनुमान करे छे.३ ‘बारमासा 'नी साहित्यिक परंपराने अनुसरी कवि बारे मासना ऋतुविहारने वर्णवे छे काव्यनं शीर्षक दावे छे तेम आ 'बारमासा' काव्य छे १२९ कडीनी आ कतिमां कविओ नेमिनाथ-राजीमतीना निमित्ते बारे मासनु परंपरा अनुसार वर्णन कयु छे.. काव्यना प्रारभमां कवि विहंगमवाहना '-सरस्वती माता पासे 'जिन-गुणगान' अर्थे 'वरदान' याचतां कहे छे विमल विहंगमवाहना, माता द्यउ वरदान, द्वादश मास सोहामणा, गाइसु जिन-गुणगान. वेधक-जन-मन रीझवइ, मानिनि मोहण-वेलि, गुण-सोभाग-सोहामणी, वाणी द्यउ रंग-रेलि. २४ वर्णननो प्रारंभ कवि श्रावण मासना वर्णनथी करे छे. अलंकारनी योजना रूढिगत छे, पण कवि अमां अक प्रकारनी चमत्कृति आणी छे. महेकी आ रति आरति, आवइ मोरडी मोरडी रे आ रति सेज आरति, झूरइ गोरडी गोरडी रे ८ खिन खिन तुहूंनी आर(ति), बपीहाआ देतु हइ रे हइ रे, पावसि विरह प्रांण कि, दैआ लेतु हरइ रे हरइ रे ९५ १ जयवंतसूरि रचित ऋषिदत्तारास, स. निपुणा अ. दलाल, ला. द. भारतीय संस्कृति विद्या मंदिर, अमदावाद, १९७५. २ पुण्यविजयजी हस्तप्रत भंडार, प्रत क्रमांक २६५६, ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर,अमदावाद. ३ वीरसिंहकृत उषाहरण संपा. डा. भोगीलाल ज. सांडेसरा, मुंबई, ९९३८, परिशिष्ट पृ. २७९. ४ नेमि. राजी. बारमास वेल प्रबंध, पृ. १, १-२. ५ नेमि. राजी बारमास वेल प्रबंध, पृ. १. ८-९. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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