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जयतवंसूरकृत
दुती उवाचतुह भूख्या गुण तरसीया, लंघणि पंडुर देह, ओक वार तनु रबि दइ (१), जीवाडि-न गुण गेहि. २०८३ शीलवती उवाचअन्न न आवइ अझ धरिं, जलनउ न केरु संग, तनु कुहनई आपिउं नथी, मागु अनेरां चंग. २०८४ तरता देखी हंसला, बगला तुडि म मंडि, हंस विना अणइ सरोवरइं, कोइ न जीलइ मूढ. २०८५
ढाल ३९ राग रामगिरी
परनारी सिउं प्रेम न धरीइं, चंचल चित्त न करीइ, देखी रे अंबरि आंबा फलिया, हैडइ दुख नवि धरीइ. २०८६ बंधवजी परदारा परहरीइ, जेहथी नरगि रे पङीइ...दुपद आरति अनीद्र अभूख, आठे पहुर उचाट, ओ परनारी प्रेम तणा सुख, नरक तणी छइ वाट. २०८७ ब. उत्तम कुलनइं खांपण लागइ, वइरि धरइ रे उछाह, भूपति डंडइ सुजन सी दाइ, परनारी-उमाह. २०८८ ब. त्रिभुवनमां बलवंत विख्यात, मोटउ रावण राय, परनारीनइ वेधि विलूधउ, पामिउ मरण उपाय. २०८९ ब. आ भवि प्राणी यौवनि मातु, परदास सिउं रातु, नरक तणा दुख जे छइ दोहिलां, ते पणि वेसइ जातु. २०९० ब. शीलई सुर नर सेवा सारइ, वंछित फलीइ आस, जयवंत पंडित कहइ शील सुवा, सुर नर तहना दास. २०९१ ब.
एहवां वचन घणां कहियां, तुहि नवेइ प्रधान, अंध न जां किहिं आफलाइ, तां नवि आवइ शान. २०९२ पीउ करी देखी कमल ते, अणसट्टिहितु राय, शील-परीक्षा कारणइ, मंडिउ एह उपाय. २०९३ तु देखाडू पारखू, जिम मनि चमकु थाइ, एहवू जाणी दूतीने, सुंदरि कहइ उपाय. २०९४ सुंदरि न घटइ पर तणउ, कुल वनितानइ संग, तुहइ धन लोभई करी, माणस मांडइ रंग. २०९५
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