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जयतवंसूरकृत
ढाल ४२
राग सोमरी
(अक दिन अनुचरि वोनव्यो, अ देशी) जउ तेह सरखी सुंदरी, नवि हवी सीलइ चंग, पाताल मांहि जउ रही, तुहरे, देही अनंगि. तु वणिगनो कामिनी, किम रहइ जे स्वछंद, ओ मुग्ध भोलु भोलविउ, दाखवी माया-वृद. २०६० रागीया साचुं लेखवइ, ते नारि बोलइ बोल, कामिनी केरा बोलडा, जेहवा ति पोला ढोल, मुहि बोलतां वाधइ घणरं, जिम जलघिना कल्लोल, साच न बोलइ अ करती, मनि नेह नहों नटोल. २०६१ एहवां रे वचन सुणी घणां, तत्वार्थ विरहित राय, कहि मंति तेहवू कीजीइ, जिम कपट परगट थाइ. तु सचिव कहइ ए सोहिलु, अझ प्रगट करसिउ कुंड, सजन्न दिउ आदिसडउ, जिम एह जाणइ भूढ २०६२ तु अह्ये सेवक ताहारा, जउ तास टालउ शील, तां लगइ फणगर फूकूइ, जां मोर न मिलइ नील, इम सुणी राइ ए प्पीउ, आदेश मननइ रंगि, सचिव च्चारइ हरखीया, परनारि केरइ संगि. २०६३ विख अनइ वली वधारीउं, . बडे चडी कारेलि, एक भखण नइ वली हडकयु, ऊधाण मांहि रेलि, पंखाल वली पन्नग थयउ, शाकिनी राउल मान, ऊगट्टि कीधो मसि तणी, हबसिणी कालइ बानि २०६४ मांजार नइ पय भालविउ, वानरा वाडी मांहि, ते वलो राउल वाहीया, लंपट्ट सचिव प्रवाहि, आदेश लही पाछा वलिया, मन मांहि हरख न माइ, ते शील-सायर सोसवा, घट-पुत्र सरखा धाइ. २०६५
ढाल ४३ राग धन्यासी
रायना इम निसुगो रे बोल ज सार. हरखिया रे मनि धगउ सचिव ते चार....दुपद लहोय आदेश नई काज उपाइ, आव्या आव्या मंदिर ते नरक सरखाइ २०६६ रा. च्यार ते मनमथ रूप समान, जे देखो मानिनी मेहलइ रे मान, २०६७ रा.
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