________________
८२
Jain Education International
जयवंत सूरिकृत
भार,
वमइ, तेहइ दुणु दुर्बलां, कहु सहि कवण विचार : १०११
नेह हैइ सज्जन विरही मांस सज्जन सहित सलूणडां, तम्मय पीउ करेइ, विरहानल सूरय तपइ, तणि ज्ञीणंग विरही कां हुइ दुबलां, कारण कहु-न विमासि, सही ए नशि-दिन जेहनइ, पलि पलि वाघइ मांस. १०१३
सहोइ. १०१२
उत्तर
भाठ
पुहुर अंगीठडी, भौंतरी धीकइ जास, मांचइ किम सलूण ते, पल पल वाघइ मांस. १०१४ जे जे बोल्या बोलडा, सजनि नेह-रसाल,
खिणि
नेह-रसाल. साल. १०१६
सालइ
अटकइ ते हैइ, जिम अणदीठउ-साल. १०१५ जे जे बोल्या बोलडा, सजनि ते ते बोल संभारता, सूकूं घडली वरसा सु समी, रयणि सजन विण जे जीवीइ, ते जीविडं न कहाइ. १०१७ सजन जातइ ते करिउं, जे वली करइ सोनार, विरहि अंगीठी खार - गुण, गाली सघली घात. १०१८
अनीठी थाइ,
धणह - प्राहार. १०१९
नींचा दाइ,
अलगाथाइ. १०२०
सजन जातइ ते करिउं, जे वली करइ लोहार, विरहानल मन तापवी, दइ गुण सही ए गुण सजन तणा, सोइथी सुइ वींधी मेलइ एकठां, सजन सजन साहिजि सीयला, गुण- दाबानल भाग, निशि-दिनि रहइ जु एकठां, तुहि न जाइ सभाव. १०२१ सजन नहीं ए पारधी, नाँखइ निज गुण-पास, निशि-दिन आवट करइ, मिलइ न मेहलइ आस. १०२२ सजन साप समाणडा; सहिजि किम नयणे विख वमइ, वयणे दाहि दाहि फलि कमलुं, रतडि पछइ अनुदिन झमझमइ, वीछी सन्जन गुण नहीं तुझ तणा, वीछीं सरखा होइ, दीसंता मुहुडइ समा, ऊकराटिं विख जोइ. १०२५ एक परई दुरियन भला, दीठा दहइ विकराल, सजन अणदीठा दहइ, दीठिं सालइ साल. १०२६
हुइ बँक,
देइ डंक. १०२३ पहिलं देहि,
डंक सनेह. १०२४
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org