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शृंगारमंजरी
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मित्र दुख देखइ नहीं, आपई संकोचाइ, नेह खरु रवि कमलनु, अवर न दीठ सुहाइ ९६१ मांस पांहि दाडुर भल, मेह विण प्राण त्यजंति, अहव निसनेहां मांणसां, सरणां, भय न धरंति. ९६२ तहेतुं नेह लगाडीइ, अवर न जां सुहाइ, जिम मेहा aciers, नेह देखाडी जाई. ९६३ हंसा आपि न पंखडी, मन भावहूं सो लेइ, अलजउ भांजउ मन तणउ, जइ ते सजन मिलेइ ९६४ ले चंदा चतूर तूं, मोरी करि न संभाल, सजन संदेसु दाखवी, जाता प्राण स वालि युग सरखी रयणी गमुं, वरस समाण दीह, सुन यौवन सजन विण, आलई जाइ दीह. ९६६ वली वली जोइ नयणला, करि आरीसु लेइ, सजन दीठा एणे नयणले, हूं बलिहारी तेणि. चिंता मनि छइ मिलणनी, सारणि हैइ वहेइ, नवि मांगइ चिंतामणि, जां सजन न मिलेइ. ९६८ एक जि चिंता सजननी, अवर वीसारी चिंत, चिंता थकी अधकी दहइ, कोइ म करयो प्रीति ९६९ ते दिन कहीइ आवसइ, जहां मिलसिउं एकांत, कुसुम विछाही सेजडी, प्रीउ सिउँ विहीसइ राति ९७० नाम न मेहलई नीद्रमां प्रगट करइ मन - वात, तालोवेली उरतु, दाधजवर सज्जनई सुहुइ मिलूं, मनि हुई हरख लगार, देखी न सकइ दैव ते, नींद्र हरइ तेणी वार . विरहि म आवह नींद्रडी, वली विशेख संयोगि, सही ससनेहां मांणसां, पहिलं नींद्र वियोग. ९७३ हूं जाणुं सुहुइ मिटिङ, मनि हुइ दुख-वीसार, करूं उपाय घणी परइ, नावइ नरेंद्र लगार. आंखडीयां रातडि धरइ, अजउ दोइ मिलणांइ, एक सजन नई नींद्रडी, दो जण छोडि गयांइ. ९७५ चिंताई सभरित भरी, सजन विरहिं देह, आवी न सकइ नींद्रडी, कसरारिं नयणेह (?) ९७६ नयणे वेची नींद्रडी, अंगी करिउ अणुराय, वलती सी तस आसडी, जे करि चडोयां जाइ ९७७ उत्तर देइ आकली, सहू दूबलां पूछेइ, जे सजन विछोहीयां, मातां किम हुइ तेह. ९७८
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