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जयवंतसूरिस्कृत
ढाल २०
राग गुडी
( झांझरीआ मुनिवर धन धन तुह्म अवतार, ए देशी )
अजित प्रधानि राय वीनव्याजी, पुछिउ विसमु भेय, अजित कहइ स्वामी वीनबूजी, अरथ विमासी एक. ६८९ गुणवंती रे नारी कुलडा तणी रे श्रृंगारि नान्हलडी रे सोभागिणि बुधई गयुं धन वालीइजी, सुगुण सोभागिणि सार... दुपद धरि आवी पूछी कामिनीजी, तेहथी लहीअ विचार, राज-सभां आवी कहइजी, राजनजी अवधारि. ६९० गु. नारी धन सवि ताहरुंजो, उपली भुंइ चडावि, नीसरणी अति भारइजी, अकिं पासि मेहलावि. ६९१ गु. सोइ धन लेवा आवसइजी, धूरत लोभ सभावि, नीसरणी करि लेयसिजी, उपरि चडवा काजि. ६९२ गु. दोइ करि नीसरणी ग्रहीजी, होस्यइ होस्यइ सत्य संधान, विलखु थइ पाछउ जसइजी, इम कहइ अजित प्रधान ६९३ गु तेणिं एहवीं मति सांभलीजी, धरि आवी तिम कीध, धूरत विलखु थइ गयुजी, काज न एकु सीध. ६९४ गु.
. दूहा
तहींथी राय प्रधाननइं, अधिकु नेह सहोइ, सधलइ गुण वहाला जि छइ, सगू न वहालू कोइ. ६९५ एक दिनि शीलवती भणई, वचन-सुधा-रस धार, मुज मन-मानसि हंस सम, वाहालेसर अवधारि ६९६ सुर सरिखा पणि माहरू, खंडी न सकइ शील, तु अवरहची वात कुण, सांभलि कंत सलील ६९७ मनि माणीश संदेहडु, मुज मनि अवर न कोइ, तुझ करि प्राण समोपीया, थोडइ घणूं सजोइ, ६९८ दीठई विरहानल शमइ, हइडु धरइ उल्लास, जेणिं जगि वाहलां सरजीयां, हूं बलिहारी तास. ६९९ तं दीठिं मन उल्लसइ, नयन वयण विहसंति, देखी पूनिमि चंद्र, चतुर चकोर हसंति ७००
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