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शृगारमंजरी
३७१६
अजित उवाचपावक-वाहन सर्व प्रिय, वीर वल्लभ संसारि, सज्जन वाणि केहवी, कहेवी शोभइ नारि. ३७० शीलवती उवाच-मेखलाभरणसहिता, व्यस्तसमस्तजाति ४.. अजित उवाचजलधि-सूता कुण प्रिय, शोभा लहइ परिणांमि, सिइं पामइं सुख भमरला; उत्तर दिउ अभिराम. शीलवती उवाच-कमलेन, द्विसमस्तजाति ५... अजित उवाचकुण वनवासि अलखामणउ, अहिधर कहेवु मित्त, झुरी झुरी मन भीतरिं, कुण कृश हुइ नित्त. ३७२ शीलवती उवाच-विरहित, द्विव्यस्तसमस्तजाति ६. अजित उवाचसुभट चौर वंछइ किसिउ, का खल वयणि वसंति, पवनह वैरी कुसुम -प्रिय, का गणिका घर हुंति ३७३ शीलवती उवाच--भुजंगलि, त्रिव्यस्तजाति ७. अजित उवाचदुर्जन जन जगि कहेवु, विण अपराधि दहेइ, ससि-वाहन सो कहेवु, विरही नई न रुचइ. ३७४ शीलवती उवाच-दोषाकर, एकालापकजाति ८. अजीत उवाचदुअंगम अटवी कहेवी, भील तणउ अहिठांण, नवयौवनि वनिता किसी, दइ आनंद सुजाणि. ३७५ शीलवती उवाच-मदनवती, भिन्नकजाति, ९ । अजित उवाचन्याय राजियंइ नरपति तणइ, कहु कुण केहवी होइ, , , वनराजी केहवी कहेवी भजइ, दिउ अह्य उत्तर सोइ. ३७६ शीलवती उवाच-कुमुदावलीराजिता, भेद्यभेदकजाति १० .. अजित उवाचमंदगतिइं कुण जाणीइ, अरूण उगमतउ कुण, ससि-लंछन कहु कुण हवइ, उत्तर दिउ अह्म निउण. ३७७ शीलवती उवाच-मद १, अरूण २, ससि ३. प्रश्नोत्तरसमजाति, ११
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