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________________ जयवंतमरिकृत जिम कितब चूक दायथी, जिम सुभट चुकु धाय, जिम युथ चूक हरिणलु, कर विना जिम कारे राय रे. ३५९ शी. बिछाय वदन थयु तिसिउ, भून्यस्त . दृष्टि सुदीन," . जउ कार्य अणघटतूं करइ, तु लाज धरइ कुलीन रे. ३६० शी. निज वदन हूं किम दाखवू , कुहुनि कहुं मन बात, .. इम चित्ति साथि झूरता, तव भणइ सुगुण स तात रे. ३६१ शी. मन साथि जेहसिउं मांडीइ, छेह लगइ आवचल नेह, एकवार कलह करी घणउ, परखेइ जोइई तेह रे. ३६२ शी. अज्ञान भावई जे करिउं, तस दोष न कहइ नीति, इम कही बेहू खमावीयां, अति सरल प्रांजलि चीत रे. ३६३ शी. नव नारि पणि सुविनीत अति, इम कहइ टाली रोस, ए कंत नही अपराध तुज, मुज कर्म करु दोष रे. ३६४ शो. तहीं प्रभति आधिकु प्रेम तस, जिम तामरस रोलंब, जिम चंद्र अनई चकोरडा, जिम कोकिला नइ अंब रे. ३६५ शी. तहों थकी प्रश्न-प्रहेलिका, नवी नवी भाषा भेद, .. पूछइ जि वर हैऑलिका, ते कहइ वडइ ।बछेदि रे, ३६६ शी. अथ प्रहेलिकाधिकार सरघा मुखथी स्युं हवइ, कुण करि-मंडन होइ, सुंदरि ससि-मुखि मृग-नयणि, उत्तर दिइ मुज सोइ. ३६७ शीलवती उवाच-मधुकर, व्यस्तजाति. १. अजित उवाचएक नारी रहइ कोशमां, स्त्री उपरी स्त्री नेटि, हैइ विलग्गी नवि गमइ, पुरुष तणउ भरइ पेट. ३६८ शीलवती उवाच-तरवारि, समस्तजाति. २. अजित उवाचसायर-सुत दमयंति-प्रिय, कुण कहु कमला-कंत. भोगिक वल्लभ कुण हवइ, भर सायर का हुति. ३६९ शीलवती उवाच-चंदनलहरि, द्विव्यस्तजाति ३.. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004029
Book TitleShrungarmanjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai V Sheth
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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