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सभाष्यतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् ।
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अतिकाय और महाकाय । गन्धर्वोके गीतिरति और गीतियश । यज्ञोंके पूर्णभद्र और महाभद्र और राक्षसों के भीम और महाभीम । भूतोंके प्रतिरूप और अतिरूप | और पिशाचोंके काल महाकाल नामके दो इन्द्र हैं । इस प्रकार भवनवासी और व्यन्तरोंके भेदोमें प्रत्येकके दो २ इन्द्र बतलाये । शेष दो निकायोंमेंसे ज्योंतिष्कों में अनेक सूर्य तथा चन्द्रमा इन्द्र हैं । और वैमानिकोंमें एक एक ही इन्द्र है । यथा; सौधर्म में श इन्द्र है । ऐशानस्वर्ग में ईशान इन्द्र है । सनत्कुमारस्वर्ग में सनत्कुमार इन्द्र है । इसी प्रकार सर्व कल्पोंमें उसी २ कल्पके स्वनामके इन्द्र हैं । परन्तु कल्पोंके आगे इन्द्रादि दश भेद नहीं हैं, वहां तो सब ही स्वतंत्र हैं ।
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पीतान्तलेश्याः ॥ ७॥
सूत्रार्थः - पूर्वके दो निकायोंमें पीतान्त लेश्या होती हैं।
भाष्यम् – पूर्वयोर्निकाययोर्देवानां पीतान्ताश्चतस्रो लेश्या भवन्ति ॥
विशेषव्याख्या – पूर्वके जो भवनवासी और व्यन्तर ये दो निकाय हैं, उन निकायके देवोंको आरंभसे लेकर पीतपर्यन्त चार लेश्या होती हैं । अर्थात् उनको कृष्णा, नीला, कापोता और पीता ये चार लेश्या होती हैं ॥ ७ ॥
कायप्रवीचारा आ ऐशानात् ॥ ८ ॥
सूत्रार्थः - ऐशान स्वर्गपर्यन्त देवों के कायप्रवीचार है ।
भाष्यम् – भवनवास्यादयो देवा आ ऐशानात्कायप्रवीचारा भवन्ति । कायेन प्रवीचार एषामिति कायप्रवीचाराः । प्रवीचारो नाम मैथुनविषयोपसेवनम् । ते हि संक्लिष्टकर्माणो मनुष्यवन्मैथुन सुखमनुप्रलीयमानास्तीत्रानुशयाः कायसंक्लेशजं सर्वाङ्गीणं स्पर्शसुखमवाप्य प्रीतिमुपलभन्त इति ॥
विशेषव्याख्या - भवनवासी देवोंसे आदि लेकर ऐशानस्वर्ग तकके देव कायप्रवीचार हैं । काय अर्थात शरीरसे जिनका प्रवीचार है, वे कायप्रवीचार । और मैथुन विषयका जो उपसेवन सो प्रवीचार, यह कायप्रवीचारका अर्थ है । सारांश शरीरकेद्वारा मैथुनविषयका जो उपभोग, संभोग अथवा उपसेवन करते हैं, वे कायप्रवीचार हैं । ये अर्थात् भवनवासीयोंसे लेकर ऐशानकल्प तकके देव निश्चयकरके संक्लिष्टकर्मवाले हैं; अतएव मनुष्यों के समान मैथुनके सुखको अनुभवन करते हुए तीव्रकामनासे युक्त होकर कायसम्बन्धी क्लेशजन्य सम्पूर्ण अंगोका जो स्पर्श है, उस स्पर्शजनितसुखको प्राप्त होकर प्रीतिको प्राप्त होते हैं ।
शेषाः स्पर्शरूपशब्दमनःप्रवीचारा द्वयोर्द्वयोः ॥ ९ ॥
सूत्रार्थः - शेष आठ कल्पोंके देवोंमेंसे दो २ कल्पों के देव यथासंख्य करके क्रमसे स्पर्श, रूप, शब्द तथा मनसे प्रवीचार करनेवाले हैं ।
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