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________________ पं. फूलचन्द्रशास्त्री व्याख्यानमाला आयुबंध सम्बन्धी विशिष्ट नियम - (१) भुज्यमान (वर्तमान) आयु के दो त्रिभाग बीत जाने पर आयु बंध होता है, इससे पूर्व नहीं । यह व्यवस्था कर्मभूमि की अपेक्षा है । परन्तु भोग भूमिज जीव तथा देव नारकी भुज्यमान आयु के ६ मास शेष रहने पर आगामी आयु के बंध के योग्य होते हैं । (धवल १०/२३४) गोम्मटसार कर्मकाण्ड बड़ी टीका में दो प्रकार के कथन पाए जाते हैं । गा.१५८ व६४० तदनुसार भोग भूमिया मनुष्य व तिर्यंच के भुज्यमान आयु में ९ मास शेष रहने पर, दूसरे मत से ६ मास शेष रहने पर परभविक आयुबंध की योग्यता होती है । यहाँ भी आठ अपकर्ष होते हैं । यथा ६ मास शेष रहने पर आयुबंध होगा। दूसरा अपकर्ष-२ मास आयु शेष रहने पर आयुबंध हो सकता है। फिर २० दिन शेष रहने पर आयुबंध योग्य तीसरा अवसर (अपकर्ष) है। फिर ६-२/३ दिन शेष रहने पर चौथा आयु बंध योग्य अवसर आता है । इस तरह आगे भी त्रिभाग-२ शेष रहने पर कहना चाहिए जब तक कि कुल ८ अपकर्ष नहीं हो जाएँ। (२) आठों अपकर्ष कालों में आयु न बंधे तो अन्तिम अन्तर्मुहूर्त (असंक्षेपाद्धा काल से पूर्व) में आयु बंधती है। (गो.क.५१८,१५८ टीका) (३) आठ अपकर्षों में पहली बार बिना द्वितीयादि बारों में, पूर्व में जो आयु बंधी उससे अधिक, हीन या समान आयु बंधती है। यदि अधिक आयु बाद के अपकर्ष में बंधती है तो जो अधिक स्थिति बंधी उसकी प्रधानता जाननी तथा बाद वाले अपकर्ष में यदि कम आय बंध हो तो जो पहले अधिक स्थिति बंधी थी उसकी प्रधानता जाननी । (गो.क. ६४३ जी.प्र.) अर्थात ८ अपकर्षों में बंधी हीनाधिक सर्व स्थितियों में जो अधिक है वह ही उस आयु की बंधी हुई स्थिति समझनी चाहिए। (धवल १४/३६१) (४) देव, नारकी, चरमोत्तम देहवाले अर्थात् वर्तमान भव से मोक्ष जाने वाले, भोग भूमिया मनुष्य व तिर्यंच का अकाल मरण नहीं होता । (त. सू. २/५३, स.सि. २/५३ राजवा. २/५३/१-१०, धवल ९/३०६ आदि) परन्तु संतकम्मपंजिया के अनुसार कुछ आचार्य भोगभूमि में भी अकालमरण स्वीकार करते हैं । भोग भूमीए कदलीघादमत्थि त्ति अभिप्पाएण।. (धवल १५ परिशिष्ट पृ.७८) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004020
Book TitleDhaval Jaydhaval Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1996
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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