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पं. फूलचन्द्र शास्त्री व्याख्यानमाला
निर्देश एवं टिप्पणी
1. Rice, L.L., The Universe : Its Origin, Nature and Destiny, 1951, New York. पुन:, लक्ष्मीचन्द्र जैन, जैन धर्म बनाम विश्वधर्म, अर्हत् वचन, 2.1, 1989, 13-19. साथ ही देखिये Tokarev, S., History of Religion, Moscow, 1989.
2. Einstein, A., Ideas and Opinions, Calcutta, 1979, p. 46.
3. वही, पृ. 50
4. वही, पृ. 50
5. सिद्धान्ताचार्य पं. कैलाश चन्द्र, जैन साहित्य का इतिहास, पूर्व पीठिका, वाराणसी, वी. सं. 2489,
6. वही ।
7. वही, प्रथमभाग, वी. सं. 2502. साथ ही देखिये, शास्त्री, नेमिचन्द्र, तीर्थंकर महावीर और उनकी परम्परा, सागर, 1974, भाग 2.
इस सम्बन्ध में निम्नलिखित शोध पत्र देखिये—
जैन, लक्ष्मीचन्द्र, हीनाक्षरी और घनाक्षरी का रहस्य ( गिरिनगर की चन्द्रगुफा में), अर्हत् वचन, 1.2, 1988, 11-16
'ब्राह्मी लिपि का आविष्कार एवं आचार्य भद्रबाहु मुनिसंघ, अर्हत् वचन,
2.2, 1990, 17-26; 2.3, 1990, 1-12.
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क्या सम्राट् चन्द्रगुप्त दक्षिण भारत में मुनि रूप में ब्राह्मी लिपि के आविष्कार में सहयोगी हुए ? (सहलेखक - कु. प्रभा जैन), अर्हत् वचन, 4.1,
1992, 13-20; 4.4 1992; 12-20; 5.3, 1993; 155-171.
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'क्या सम्राट् चन्द्रगुप्त दक्षिण भारत में आचार्य भद्रबाहु के समीप बाह्मी लिपि के आविष्कार में सहयोगी हुए ? महावीर जयन्ती स्मारिका, अप्रेल 1992/3, जयपुर, 1-6.
जैन, लक्ष्मीचन्द्र, प्राकृत ग्रन्थों की कतिपय गणितीय अंतर्वस्तुएँ तथा उनकी ऐतिहासिक भाषाविज्ञान एवं पुरालिपि विज्ञान में भूमिका, अर्हत् वचन 6.2, 1994, 97-101
8. Jain, L.C., The Labdhisara of Nenicandra Siddhantachakravarti,
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