SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सम्यग्दर्शनका स्वरूप निर्जरा, मोक्ष, पुण्य, पाप ए नव तत्त्व अथवा पुण्य पाप गर्भित किये सात तत्त्व तिनिका निश्चय करता है। बहुरि जहांतँ जीव न चले ऐसा प्रासाद मोक्षमंदिर ताकों चढ़ते ऐसै जे शिष्यनिविर्षे पंडित बुद्धिवान तिनकों पहला सिवाण है । याकौं पहलै भये पीछे अन्य साधन हो है। बहुरि च्यारि आराधनाविषै यह प्रथम आराधना है। ऐसा श्रद्धान है। भावार्थ-ऐसा श्रद्धानका स्वरूप वा महिमा जानि अंगीकार करना । तहाँ औपशमिक सम्यक्त्व तौ जैसे कादा जाके नीचे बैठ्या ऐसा जल ऊपरि निर्मल होइ तैसा जानना । अर क्षायिक सम्यक्त्व हरितमणि समान सर्वथा निर्मल जानना। अर क्षायोपशमिक ऊगता सूर्यवत् किछू रागमलसहित जानना। अब दश प्रकार सम्यक्त्वका सूचनँके अथि आज्ञा इत्यादि संग्रहरूप सूत्र कहै हैं आर्या छन्द आज्ञामार्गसमुद्भवमुपदेशात् सूत्रबीजसंक्षेपात् । विस्तारार्थाभ्यां भवमवपरमावादिगाढ़ च ॥११।। अर्थ-आज्ञा अर मार्गत उत्पन्न, बहुरि उपदेश” उत्पन्न, बहुरि सूत्र अर बीज” अर संक्षेपत उत्पन्न, बहुरि विस्तार अर अर्थनितें उत्पन्न ऐसे आठ तो ए भये । बहुरि अव अर परमाव' है आदि विषै जाकै ऐसा गाढ़ सो अवगाढ़ परमावगाढ़ दोय ये भये, ऐसे दश सम्यक्त्वके भेद जाननें। भावार्थ-हेय, उपादेय तत्त्वनिविषै विपरीत अभिप्राय रहित सो सम्यक्त्व एक प्रकार है। ताहीकै आज्ञादिक आठ कारणनित उपजनेकी अपेक्षा आठ भेद किये हैं। अर ज्ञानकी प्रकर्षताका सहकारकरि विशेषपनाकी अपेक्षा अवगाढ़ परमावगाढ़ ए दोय भेद किये हैं। ऐसें ए दश भेद जाननें। ___ आगे इसहीका विशेष वर्णनके अथि आज्ञा सम्यक्त्व इत्यादि तीन काव्य कहै हैं शृग्धरा छन्द आज्ञासम्यक्त्वमुक्तं यदुत विरुचितं वीतरागाज्ञायैव त्यक्तग्रन्थप्रपञ्चं शिवममृतपथं श्रद्दधन्मोह्रशान्तः ॥ मार्गश्रद्धानमाहुः पुरुषवरपुराणोपदेशोपजाता, या संज्ञानागमाधिप्रसृतिभिरुपदेशादिरादेशि दृष्टिः॥१२॥ १. अवरि अपरमाव ज० उ० ११-५ । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004018
Book TitleAtmanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTodarmal Pandit
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1983
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy