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________________ ॥ श्री परमात्मने नमः आचार्यवर्य श्रीगुणभद्रस्वामिप्रणीत आत्मानुशासन आ० क० श्री पं० टोडरमलजी रचित हिंदी वनका सहित * हिन्दीकारका मंगलाचरण दोहा - श्रीजिनशासन गुरु नमौं, नानाविध सुखकार 1 आतमहित उपदेशतें करें मंगलाचार ॥ १ ॥ ॥ सवैया ॥ Jain Education International " सोहै जिनशासनमें आत्मानुशासन श्रुत जाकी दुःखहारी सुखकारी सांचीं शासना जाको गुणभद्र कर्त्ता गुणभद्र जाको जानि भद्र गुणधारी भव्य करत उपासना । ऐसे सार शास्त्रको प्रकाशे, अर्थ जीवनिको at उपकार नाशै मिथ्या भ्रमवासना, तातें देश भाषा करि अर्थको प्रकाश करौं जातें मन्दबुद्धिहू होत अर्थ भासना ॥ २ ॥ अथ श्री गुणभद्र नामा मुनि अपना धर्मभाई लोकसेन मुनि विषयविमोहित भया ताका संबोधनका मिस करि सर्वजीवनिकों उपकारी जो भला मार्ग ताका उपदेश देनेका अभिलाषी होत संता निर्विघ्न शास्त्रकी संपूर्णता आदि अनेक फलकूं बांछता अपने इष्ट देव को नमस्कार करता संता प्रथम ही लक्ष्मी इत्यादि सूत्र कहै हैं: आर्या छंद लक्ष्मीनिवासनिलयं विलीनविलयं निधाय हृदि वीरम् । आत्मानुशासनमहं वक्ष्ये मोक्षाय भव्यानाम् || १|| For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004018
Book TitleAtmanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTodarmal Pandit
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1983
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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