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________________ ३४ : आनन्द प्रवचन : भाग १२ उत्पन्न कर देती है। प्रातःकाल की सुहावनी धूप से स्वस्थ एवं बलवान् व्यक्ति जीवनी. शक्ति प्राप्त करता है. जबकि कमजोर लोग धूप और हवा से बचकर घर में बैठकर आग तापते हैं । जल, वायु, उष्मा, खुला आकाश जैसी हितकर स्वास्थ्यदायक प्राकृतिक सम्पदाएं भो निर्बलों के लिए असह्य और घातक बन जाती हैं। जिसमें शारीरिक निर्बलता होती है, वह प्रकृति के मधुर वरदानों से वंचित रहता है । जिसका शरीर निर्बल होता है, उसका मन भी प्रायः निर्बल होता है। अंग्रेजी में कहावत है ___ "Sound mind in a sound body." 'सबल शरीर में सबल मन रहता है।' शरीर की दुर्बलता का जनसाधारण के मन पर भी असर होता है। अकसर उनका मन कमजोर होता है। मानसिक निर्बलता के कारण व्यक्ति जीवन में सहज-प्राप्त अवसरों का लाभ नहीं उठा पाते । कई बार मनुष्य के जीवन में आगे बढ़ने के चांस उपस्थित होते हैं, पर दुर्बल मन वाला व्यक्ति साहस करने से झिझकता है, जबकि मनोबलसम्पन्न व्यक्ति आगे बढ़ जाते हैं। वे प्रतिकूल परिस्थितियों, कष्टों और कठिनाइयों में साहस और उत्साहपूर्वक अपना रास्ता तय करते जाते हैं। मानसिक रूप से निर्बल व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में निराश और किकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं। ___ बौद्धिक दृष्टि से निर्बल व्यक्ति भी संसार के अनुभवी और विश्ववंद्य विचारकों, धर्मनायकों एवं उत्तम पुरुषों के विचारों से लाभ नहीं उठा सकते, सम्यक्ज्ञान सम्पदा से वे प्रायः वंचित रहते हैं। बौद्धिक निर्बलता से युक्त मनुष्य प्रायः कार्य-अकार्य, हित-अहित, धर्म-अधर्म, पुण्य-पाप आदि का विचार नहीं कर सकते। वे प्रायः धर्मान्ध और अन्धविश्वासी बन जाते हैं। धर्म को विवेक और विज्ञान की तराजू पर वे तौल नहीं सकते । वे प्रायः गतानुगतिक होते हैं । वे सत्य की उपलिब्ध नहीं कर पाते। मन्दबुद्धि लोग अध्यात्म ज्ञान की रसमाधुरी से भी प्रायः वंचित रहते हैं। ___ इसी प्रकार आत्मिक दृष्टि से निर्बल व्यक्तियों की कोई प्रगति नहीं होती। दुर्बलात्मा लोगों के लिए शान्ति और आनन्द दुर्लभ हैं, इसीलिए उपनिषद् में कहा है 'नायमात्मा बलहीनेन लभ्यः' 'बलहीन व्यक्ति आत्मा को उपलब्ध नहीं कर सकता।' बलशाली लोगों को ही संसार में सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है। कमजोर और क्षीणमना लोगों को हर कोई घृणा की दृष्टि से देखता है। छोटे-छोटे कमजोर पौधे जो वर्षा और सर्दी में उग जाते हैं, वसन्त के आते ही सूखकर नष्ट हो जाते हैं, जबकि उसी वसन्त में बड़े और मजबूत वृक्ष लहलहाने लगते हैं । ___ सुदृढ़ और पक्की नींव का मकान वर्षों तक टिका रहता है, जबकि कच्चा, कमजोर और कच्ची नींव का मकान एक-दो आंधियों के झौंकों से ही ढह जाता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004015
Book TitleAnand Pravachan Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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