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________________ धर्मकथा : सब कथाओं में उत्कृष्ट : २१ सुन्दर रूप, सौन्दर्य एवं सुन्दरियों के अग- विन्यास आदि की चर्चा करने-सुनने से आसक्तिपूर्वक स्पर्शलालसा अथवा प्रेक्षणलिप्सा पैदा होती है । इसी प्रकार बढ़िया, स्वादिष्ट, गरिष्ठ भोज्य पदार्थों की कथा सुनने या कहने से भी रसनेन्द्रिय को तृप्त करने की कामना जगती है । इस प्रकार की भोगकथा जीवन को पतन की ओर ले जाती है, शरीर और शरीर से सम्बन्धित पदार्थों के उपयोग — सुखोपभोग की तीव्र लालसा जाग जाती है रात-दिन उन्हीं भोगोपभोगों को पाने की उधेड़बुन में व्यक्ति लग जाता है । यह सब भक्तकथा या भोगकथा का दुष्परिणाम है । राजकथा -- यह विकथा बड़ी भयानक है । राष्ट्रान्धता के आवेश में अन्य राष्ट्रों को गुलाम बनाने, अपने राष्ट्र के प्रति मोह की, दूसरे राष्ट्रों की राजनीति की चर्चा करना तथा ऐसी ही विकथाएँ पढ़ना या सुनना जीवन को दलदल में फँसाना है । इसी प्रकार रात-दिन सत्ता हथियाने, एम० एल०ए०, एम० पी० आदि बनने के लिए तिकड़मबाजी की बातें कहना - सुनना या पढ़ना भी खतरनाक है । कई लोगों को यह आदत होती है। कि वे सोते-बैठते, जब देखो तब राजनैतिक चर्चा छेड़ते रहते हैं, अखबारों में राजनीति की गर्मागर्म खबरें पढ़कर वे जब तक पाँच-दस व्यक्तियों को नहीं सुना देते तब तक उन्हें चैन नहीं पड़ता । कई लोग तो राजनीति के कीड़े होते हैं । वे रात-दिन नेता बनने और प्रतिपक्षी को पराजित करने की चर्चा अपने मित्रों में करते हैं। राजनीतिकथा की यह चर्चा उनके जीवन को घुन की तरह खा डालती है मगर उन्हें राजनीति के बिना चैन नहीं पड़ता । ऐसी चर्चा सुनने या कहने के फलस्वरूप कुछ मनचले लोग राजनीति के दलदल में बुरी तरह फँस जाते हैं । राजनैतिक कथा की कई लोगों को बहुत खुजली होती है । अन्तः प्राचीन काल में जब राजाओं के राज्य होते थे । तब कई लोग राजा, रानी, तःपुर, युद्ध, राजसी ठाठबाट, राजाओं की महफिल, रंगीन रातें, राजाओं के भोगोपभोग के ( साधन ), युद्ध आदि की कथा कहने-सुनने में बड़ी दिलचस्पी लेते थे । फलतः कर्मबन्धन, राग-द्वेष और या व्यर्थ समय खोने के अतिरिक्त कुछ पल्ले नहीं पड़ता । इसीलिए राजकथा को विकथा कहा गया है । उससे मनुष्य का जीवन बर्बाद हो जाता है । राजनैतिक जीवन का अभ्यस्त व्यक्ति फिर अन्य किसी क्षेत्र के काम का नहीं रहता । वह राजनीतिक उखाड़ - पछाड़ में, दूसरे दलों को बदनाम करके वोट अपने पक्ष में अधिक लेने के चक्कर में राजनैतिक कथा करता रहता है । राजनीति की कथा में सत्य का अंश बहुत ही कम होता है। अधिकतर झूठे वादे, झूठे नारे, कपटपूर्वक झूठ बोलना, तिकड़मबाजी, अनुचित साँठ-गाँठ, जोड़-तोड़ आदि होते हैं। मानो राजनीति से आजकल शुद्ध धर्म को तो विदा ही कर दिया हो । 1 देशकथा - यह विकथा भी अनोखे प्रकार की है । देशकथा में यात्रा - कथा देश-विदेश की विभिन्न देशों की रीति-रिवाजों, संस्कारों, रहन-सहन, खान-पान, बोलचाल 1. आदि की चर्चा ही इस कथा का मुख्य विषय होता है । देशकथा और महात्मा गांधी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004015
Book TitleAnand Pravachan Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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