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________________ सुखोपभोगी के लिए इच्छानिरोध बुष्कर : २४५ लगभग ६० वर्ष पहले की बात है । झेलम नदी के तट पर बसे हुए खुशाबनगर (सरगोधा जिला ) से नगाड़े HE के सर्वोच्च सरकारी पदाधिकारी तहसीलदार दीवान मदनगोपाल शैदा रहते थे, जो देशविख्यात वजीराबाद के दीवान परिवार में दीवान ठाकुर दास के पुत्र थे । उनके घर में धन-सम्पत्ति की कोई कमी न था, वे केवल सम्मान-प्रतिष्ठा के लिए सरकारी नौकरी करते थे । धन था, यौवन था, प्रभुता थी और इस पर रसिक तथा कवि भी थे। चार-चार घोड़े रखते थे, जिन्हें विलायती बिस्कुट खिलाया करते थे । रईसी ठाठ-बाट से रहते थे । सुसरानी से इन्हें विशेष क्लायती ह्विस्की की वेदियों का इनके यहाँ गोदाम था । ऐसी स्थिति में में ही सब करते थे जो ऐसे रईस लग किया करते हैं ि . ra | ज्येष्ठ कामही था इतनी कर पाती कि दिन के ि बजे बाद धूप और के मारे कोईघर से बाहर नहीं निकलता श्री मदनगोपाल शैदा थे । झेलमनदी की कोमल बालू बिछी हुई सोचा गया था। खिड़की और दरवाज़ों पर खसखस के हदूदे लगे लम्बा झाला पंखा लटक रहा था, जिसको एक व्यक्ति खींच रहा था । एक, तडा पलंग डाला हुआ था, जिस पर कोमल, सफेद विना इस पर डीवान साहब आराम कर रहे थे । द्वार पर, द्वारपाल बैठा था, ताकि कोई बिना आज्ञा के भीतर न घुस सके। PS एक बाड़े से कमरे में थी, जिसे यंत्र जल से हुए थे । छत से एक är inre ige IPIN ऐसे सुखोपभोग में निमग्न व्यक्ति के लिए अपनी इच्छाओं को रोकना, PI5 PPE PHIE FERLI TUPPE 17 THFP SF FESTE FIRE दुर्व्यसनों एवं अनावश्यक खर्चों को छोड़ना कितना दुष्कर था, यह आप अंदाजा लगा Ti सकते हैं । IF APP-FSE THE PEDER & BEN RIFTS FIFUL FIN उन्हें पर इस जलती दोपहरी में एक गौरवर्ण दीर्घकाय भव्याकृति, तेजस्वी काषायवस्त्रधारी संन्यासी, खस-खस का पर्दा उठाकर भीतर प्रदेश किया देखकर दीवान साहब उठे । उन्होंने संन्यासीजी को नमस्कार किया और चौकी पर Samajik #FE आदर सहित बिठाया । फिर पूछा - "कहिए महाराजजी ! क्या आज्ञा है' TSF VIK महात्माजी ने उत्तर दि 我 दिया आपसे एक भिक्षा माँगने आया हूँ, देने का # STEP-YIFT PE TE वचन दें तो कहूँ" Fre CMMIRR IPPIN कि त दीवान साहब ने कहा पहले आप बताएँ, तभी वचन दिया जा सकता है - हो सकता है, जो वस्तु आप मांगें, वह मेरे पास हो ही नहीं । और यदि हो तो भी उसको देकर मैं जिन्दगीभर पछताता रहूँ ।" + की सकेंगे देने P महात्माजी ने कहा—“वही वस्तु माँगूँगा जो आप दे सकरी और जिस दिन सिआप कोई कष्ट भी नहीं होम"..... कोण' इसपेरा दीवाना साहब मे देवे को वचन दे दिया महात्माजीनेशन् 14 आपकी सबसे प्रिय वस्तु कौन सी है ?" दबाजी में उत्तर दिया कि 15 शराब | MP IF TEBIE? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004015
Book TitleAnand Pravachan Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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