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परस्त्री-आसक्ति से सर्वनाश : १६५
इसी नगर में एक सम्पन्न घर का युवक आवारा फिरता रहता था। घर में धन की कमी नहीं थी। ऊपर किसी का अंकुश न रहने के कारण वह परस्त्रीगामी हो गया था। बहुमूल्य वस्त्रों में सुसज्जित होकर, तेल-इत्र की सुगन्धि से महकता हुआ छल-छबीला बनकर चल रहा था। किसी भी सुन्दरी पर बुरी दृष्टि डालना उसका स्वभाव बन गया था। एक दिन वह इसी तरह राजमहल के पास से होकर नोचे-ऊपर दृष्टिपात करता हुआ जा रहा था। अचानक ही रानी का उस ओर देखना हुआ। दोनों की आँखें लड़ी। वह बार-बार उसी रास्ते से आवागमन करने लगा। रानी ने एक पत्र लिखा और फूलों के गुलदस्ते में गूथकर उस युवक को लक्ष्य करके नीचे गिरा दिया। युवक फूला न समाया । एकान्त में उसे तोड़कर देखा तो रानी का लिखा पत्र मिला । जिसमें लिखा था-"मैं आपको हृदय से चाहती हूँ। आपके बिना प्रतिक्षण व्याकुल हूँ। अतः किसी प्रकार आप राजमहल में पहुँचने की चेष्टा करें।" रानी का आमंत्रण पाकर वह हर्षित हुआ। सोचा-'राजमहल में तो कड़ा पहरा रहता है, कैसे प्रवेश हो ? राजमहल के आगे कई दरवाजों पर सिपाही तैनात रहते हैं, वे किसी को अन्दर नहीं जाने देते। फिर जहाँ रानी का आवास भवन है, उसका रास्ता जहाँ महाराज बैठते हैं, वहीं से होकर जाता है दूसरा कोई रास्ता ही नहीं है।' कामी युवक ने काफी चेष्टाएँ की, पर राजमहल में प्रविष्ट होने में वह सफल न हो सका ।
आखिर उसने खोज की कि कौन स्त्री प्रतिदिन बाहर से राजमहल में रानी के पास जाती है । उसे पता चला कि फूलां मालिन प्रतिदिन फूलों से भरी टोकरी लेकर राजमहल में जाया करती है। युवक उससे मिला । फूलां मालिन जब पुष्पमालाएँ एवं गजरे गूथ रही थी, तब उस युवक ने कहा -"लाओ एक गजरा में भी गूथ हूँ।" उसने भीतर प्रेम-पत्र छिपाकर फूलों को ऐसे नए ढंग से सजाया कि देखने वालों को वह अलग ही दिखाई दे । फूलां मालिन फूलों की टोकरी लेकर राजमहल में आई । रानी के सामने उसने सब फूलों को रखा तो एक नये ही ढंग से गूथे हुए गजरे को देखकर रानी ने पूछा-"यह गजरा तो नये ही ढंग से गूथा हुआ है, किसके हाथ की कला है ?"
फूलों ने सहजभाव से कह दिया बगीचे में घूमने आये हुए एक युवक ने यह गजरा गूथा है । महारानी तुरंत समझ गई और उस गजरे को एकान्त में ले जाकर तोड़ा तो प्रेमी का पत्र निकला । वह फूली न समाई। अपने कुल-गौरव का जरा भी ध्यान न करती हुई किसी प्रकार प्रेमी से मिलने को आतुर हो गई। मालिन को एकान्त में लेजाकर कहा-"फूलां ! मैं तुम्हें निहाल कर दूंगी। जो चाहोगी, तुम्हें दूंगी, पर उस युवक को किसी भी तरह से मेरे महल में ले आओ। यह काम
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