SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परस्त्री- आसक्ति से सर्मनाश : १९१ शरीर का नाश - परस्त्री - सेवन से शरीर नाश तो प्रत्यक्ष दिखाई देता है । जो कामान्ध पुरुष अपनी सुन्दर सुशील गृहिणी होने पर भी परस्त्रीलम्पट बनता है, उसे शाङ्गधर में कौए की उपमा दी गई है— परिपूर्णेऽपि तटाके काकः कुम्भोदकं पिबति । अनुकूलेऽपि कलत्रे नीचः परवार लम्पटो भवति ॥ - जल से पूरा भरा तालाब होने पर भी कौआ दूसरे के घड़ों में चोंच डुबोता है, इसी प्रकार मनोऽनुकूल गृहिणी होने पर भी नीच पुरुष परस्त्री में आसक्त होता है । इस प्रकार के परस्त्रीलम्पट के हाथ-पैर काट दिये जाते हैं, उसकी चमड़ी उधेड़ दी जाती है, उसके शरीर पर आग से तपाकर दाग दिया जाता है, और जले पर नमक छिड़का जाता है । उसके शरीर पर कोड़े बरसाये जाते हैं । उसकी आँखें फोड़ दी जाती हैं । कई बार उसका मुँह काला करके बुरी तरह पिटाई की जाती है । अथवा उसे जमीन में गाड़कर शिकारी कुत्तों से नुचवा दिया जाता है । बुरी मौत मारा जाता है । परस्त्रीलम्पट पुरुष के साथ कोई भी रियायत नहीं करता । अगर उस स्त्री का पति जान जाए तो उसका गला काटकर फेंक देता है अथवा अन्य तरह से उसकी दुर्गति करता है । परस्त्रीलम्पट को समाज या जाति के कोई भी व्यक्ति रंगे हाथों पकड़ लेते हैं तो जूतों या थप्पड़-मुक्कों से पीटकर उसका कचूमर निकाल देते हैं । यहाँ तक कि कामज्वर से पीड़ित होने पर उस परस्त्रीगामी का अंग-अंग गल-सड़ जाता है । उसे स्वतः ही दण्ड मिल जाता है । एक जैन साधु का बचपन का गृहस्थावस्था का सहपाठी एक लड़का था । जब वह लगभग २५ साल का हुआ तो कामज्वर से पीड़ित होकर एक स्त्री के प्रेम में पड़ गया । वैसे लड़का बड़ा रूपवान, बुद्धिशाली, होनहार व चरित्रवान था, किन्तु जब उसके बारे में सुन्दरी में आसक्त होने की बात सुनी तो सहसा विश्वास नहीं हुआ । मगर जब उसे उन्होंने आँखों से देखा तो उसके कृत्य पर बड़ा दुःख हुआ । उन्होंने उस लड़के को अपनी लत छोड़ देने के लिए बहुत समझाया, मगर वह टस से मस न हुआ । कुछ समय बाद उक्त जैन साधु ने उस युवक को देखा, उसका रोम-रोम सड़ गया था । सारे शरीर में अगणित कीड़े पड़ गये थे । देखने वाले को भी घृणा होती थी । एक दिन वह इहलीला समाप्त करके चला गया । बम्बई की एक घटना अखबार में पढ़ी थी । एक रूपवती महिला अपनी कार में बैठकर कर कहीं जा रही थी । रास्ते में कार एक जगह रुकी तो एक हृष्टपुष्ट काले लूटे मुसलमान ने उसे देखा । सहसा लपककर वह मोटर पर चढ़ गया । उस महिला को सड़क पर गिराकर उसने वहीं उसके साथ बलात्कार किया। हजारों Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004015
Book TitleAnand Pravachan Part 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnand Rushi, Shreechand Surana
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1981
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy