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१६० : आनन्द प्रवचन : भाग १२
__ कई लोग कहते हैं, संसार में बहुत-से लोग ऐसे भी हैं, जो जिन्दगी भर व्यभिचारी रहे, फिर भी उनका बाल भी बांका न हुआ। जन्म भर धन-वैभव से सम्पन्न रहे । इसका समाधान यह है कि व्यक्ति केवल इस जन्म के ही संस्कार (कर्म) लेकर नहीं आता, वह अनन्त-अनन्त जन्मों के पुण्य-पापों की गठरी सिर पर ढोए हुए चलता है। अगर उसने पूर्वजन्म में या उससे कई जन्मों पहले कोई अच्छे (शुभ) कर्म-पुण्य किये हैं, तो उसका फल उसे इस जन्म में मिलना सम्भव है । अतः यह कहा जा सकता है, कि अमुक व्यक्ति ने इस जन्म में परस्त्रीसेवन किया, उसके फलस्वरूप शरीर आदि का किसी न किसी रूप में नाश होना शुरू हो गया है। साथ ही पूर्वजन्म के पुण्यकर्मों की कमाई का फल भी उसे धनसम्पन्नता, सुख-सुविधा, साधनसम्पन्नता आदि के रूप में प्राप्त हुआ है। इसलिए परस्त्री में आसक्त मनुष्य धनादि सम्पन्न होते हुए भी तन-मन आदि से विनष्ट होता जाता है। यह बात शास्त्रों द्वारा ही नहीं अनुभव द्वारा सिद्ध है । देखिये प्रश्नव्याकरण मूत्र में कामान्धों की दुर्दशा का वर्णन--
__." इहलोए ताव नट्ठा, परलोए य नट्ठा महया मोहतिमिसंधयारे घोरे तसथावर-सुहमबादरेसु य पज्जतमपज्जत-साहारण सरीर-पत्तेय सरीरेसु ।"
"इन्द्रियों के दुर्विषयभोगरूप मैथुनसेवनकर्ता (कामान्ध) इहलोक में तो नष्ट होते ही हैं, परलोक में भी वे नष्ट होते हैं, घोर महामोहतमिस्रा रूप अन्धकार में पैदा होते हैं, त्रस, स्थावर, सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त, अपर्याप्त, साधारण शरीर और प्रत्येकशरीर आदि विभिन्न योनियों में बार-बार परिभ्रमण करके मोहकर्म को बढ़ाते हैं।
इसी सत्र में कामान्धों की दुर्दशा का वर्णन करते हुए शास्त्रकार कहते हैं"... मेहुणसन्नापगिद्धा य मोहभरिया सत्थेहि हणंति एक्कमेक्कं विसयविसउदीरएस अवर परसहि हम्मंति कम"।"
"मैथुनसंज्ञा में अत्यासक्त और मोह एवं अज्ञान में भरे हुए कामान्ध लोग शस्त्रों से एक दूसरे का वध कर डालते हैं, विष देकर मार डालते हैं। यदि परस्त्री हुई तो उसका पति उसके प्रेमी (जार) का घात कर डालता है।" योगशास्त्र में परस्त्रीगामी के सर्वनाश की संक्षिप्त झांकी दी गई है
सर्वस्वहरणं बन्धं, शरीरावयवच्छिदाम् ।।
मृतश्च नरकं घोरं, लभते पारवारिकः ।। २/९७ "परस्त्रीगामी पुरुष का यहाँ धन-जन-तन-मन आदि सर्वस्व नष्ट हो जाता है, जेल आदि का बन्धन तथा शरीर के अंगोपांगों का छेदन भी होता है और मरकर वह घोर नरक में जोता है।"
अब हम परस्त्री-सेवन से सर्वनाश के प्रत्येक पहलू पर क्रमशः विचार करेंगे--
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