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१८६ : मानव प्रवचन : भाग १२
रहते हैं, फलतः आश्रयहीन विधवा किसी परपुरुष के साथ भ्रष्ट हो जाती है। गुप्तरूप से यह दुर्व्यसन चलता रहता है।
अनमेल विवाह भी परस्त्रीगमन को बढ़ावा देता है। शिक्षा, संस्कार, उम्र, सहखान-पान, आचार-विचार, धन, शरीर आदि में से कई बातों में जिनका मेल नहीं होता, ऐसे लड़के-लड़कियों का गठबन्धन कर दिया जाता है, जिसके फलस्वरूप आगे चलकर स्त्री को या तो पुरुष छोड़ देता है, या मजबूर कर देता है, तब वह कहीं न कहीं किसी भी पुरुष का आश्रय ले लेती है। अतः यह भी परस्त्रीगमन के लिए प्रोत्साहक बनता है।
एक जगह १२ वर्ष का लड़का और १८ वर्ष की लड़की की शादी कर दी गई। लड़का नासमझ था । बहू को यौवन का कामोन्माद चढ़ा। उसका श्वसुर ५० वर्ष की उम्र का था। उसने बहू को अपनी सेवा करने के बहाने भ्रष्ट कर दिया। एक बार चस्का लग जाने पर रोज-रोज यह दौर चलने लगा। श्वसुर से बहू को ३-४ गर्भ रह चुके । गाँव वालों को पता लगा तो उन्होंने उसका कुएँ पर चढ़ना बन्द कर दिया । अन्त में गांव छोड़कर वह व्यभिचारी महाशय शहर में आ बसा और पुत्रवधू के साथ अनाचार-सेवन करता रहा।।
निष्कर्ष यह है कि बालविवाह, वृद्धविवाह या अनमेल विवाह ये तीनों ही आगे चलकर स्त्रियों को परपुरुषगामिनी बनने का और व्यभिचारी पुरुषों को परस्त्रीगमन का प्रोत्साहन देने वाले हैं।
१४. अत्यधिक धन, सुख-सुविधा और निरंकुशता-इन तीनों का परस्पर गठजोड़ है । जहाँ अनाप-शनाप धन आता रहता है, वहां मनुष्य सुख-सुविधाएं बढ़ाने का प्रयत्न करता है, साथ ही उस पर कोई अंकुश, स्वयं का या दूसरे का, नहीं रहता है, तब स्वाभाविक है, कि उसकी इन्द्रियाँ विपरीतपथगामिनी हों । खासतौर से ऐसा धनाढ्य, निरंकुश व्यक्ति मद्य, मांस आदि दुर्व्यसनों के साथ-साथ परस्त्रीगमन के दुर्व्यसन का प्रायः शिकार हो जाता है । वह पैसे फेंककर प्रतिदिन एक से एक बढ़कर सुन्दरी को अपने दुर्व्यसन-पोषण के लिए बुलवाता है। अथवा जिस किसी सुन्दर स्त्री को देखता है उसे कुछ न कुछ प्रलोभन देकर अपने कामजाल में फंसा लेता है। उसके पति को या तो कुछ प्रलोभन देकर नौकरी पर रख लेता है, या लोभ देकर राजी कर लेता है, अथवा उसे समाप्त करा देता है।
कई लोग किसी अन्य स्त्री के प्रेम में पड़ जाते हैं, तब वे अपनी सुन्दर, सुशील पत्नी को किसी तरह समाप्त कर देते हैं, जाति एवं समाज वालों का मुंह पैसे के बल पर बन्द कर देते हैं। राजस्थान का एक डाक्टर मुलुन्द (बम्बई) में रहता था। उसका वहां की एक महाराष्ट्रीयन महिला से प्रेम हो गया। वह डॉक्टर के काम में सहायिका भी बन गई। उसने अपनी सुन्दर सुशील पत्नी को मामूली ज्वर होने पर जहर का इम्बेक्शन दे दिया। फलतः बेचारी मरणशरण हो गई । लोगों
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